ग्वालियर । वहाँ पर बेघर, बेसहारा व अपनो से उपेक्षित लोगों की प्यार-दुलार व उपचार के साथ केवल सेवा ही नहीं होती, बल्कि परिस्थितिवश वर्षों पूर्व अपनों से बिछुड़ों का मिलन भी कराया जाता है। यहाँ बात हो रही है डबरा कस्बे में संचालित “अपना घर आश्रम” संस्था की। अपना घर में जिन्हें आश्रय मिला है उन्हें आश्रम के सेवादार प्रभुजी कहकर संबोधित करते हैं। कलेक्टर रुचिका चौहान गुरुवार को श्रमिक दिवस के अवसर पर इस संस्था में पहुँचीं थीं। लगभग पांच साल पहले अपने पति व बच्चों से बिछुड़ीं प्रयागराज के बेनीपुर ग्राम निवासी रामलली का जब कलेक्टर की मौजूदगी में पति रामचन्द्र के साथ मिलन हुआ तो अपना घर आश्रम के सम्पूर्ण परिसर में सुखद भावनाएँ हिलोरें लेने लगीं। रामलली-रामचन्द्र के इस मिलन में कलेक्टर द्वारा की गई पहल की भी अहम भूमिका रही है।
कलेक्टर रुचिका चौहान ने रामलली का हाथ व रामचन्द्र के हाथ में थमाया और उनसे कहा दाम्पत्य जीवन की डोर अब कभी टूटने न पाए। रामचन्द्र बताते हैं कि मेरी धर्मपत्नी रामलली की मानसिक स्थिति लगभग पाँच साल पहले खराब हो गई थी और वे बिना बताए एक दिन घर से निकल गईं। हमने ढूँढने के लाख प्रयत्न किए पर वे नहीं मिलीं।
अपना घर संस्था के सचिव मनीष पाण्डेय ने बताया कि लगभग पाँच साल पहले जौरासी घाटी क्षेत्र में अर्द्धविक्षिप्त और मैले-कुचैले कपड़े पहने रामलली सड़क पर जा रही थी। वहाँ से उन्हें सम्मानपूर्वक लाकर अपना घर संस्था में रखा गया। यहाँ पर मिले इलाज व सेवाभाव से पूरी तरह ठीक हो गईं। लेकिन वे अपने घर एवं घरवालों का पता बताने में असमर्थ थीं। इसी बीच कलेक्टर ने “अपना घर आश्रम” में जिन लोगों को आश्रय दिया गया है उन सभी के आधारकार्ड बनवाकर शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश दिए। जब आधार कार्ड बनवाने के लिये रामलली के फिंगर प्रिंट लिए गए तब पता चला कि उनका पहले से ही आधार कार्ड बना हुआ है जो प्रयागराज जिले के ग्राम बेनीपुर का है। इस आधारकार्ड के आधार पर उनके परिजनों तक “अपना घर आश्रम” पहुँचा। आज रामलली के पति रामचन्द्र उन्हें लेने आए हैं और हम सब उन्हें खुशी-खुशी विदा कर रहे हैं।
कलेक्टर ने श्रमिक दिवस पर अपना घर आश्रम के सम्पूर्ण परिसर का जायजा लिया और जिला प्रशासन की ओर से आश्रम के लिये हर संभव मदद की बात कही। साथ ही आश्रम के सेवादारों के साथ बैठकर दोपहर का भोजन भी ग्रहण किया। इस अवसर पर एसडीएम दिव्यांशु चौधरी भी उनके साथ थे। डबरा की अपना घर आश्रम संस्था में वर्तमान में 79 प्रभुजी (बेघर, बेसहारा व मानसि रूप से अस्वस्थ) निवास कर रहे हैं। इनमें 18 महिलायें शामिल हैं। यह संस्था समाज से मिले सहयोग से इन प्रभुजियों की सेवा में जुटी है। अब तक 150 से अधिक लोगों को सेवाभाव के साथ ठीक करने के बाद यह संस्था उन्हें उनके घर तक पहुँचा चुकी है।
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