राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नाबालिग इंटरनेशनल तस्कर पिछले तीन सालों से राज्य की खुफिया एजेंसियों को गच्चा दे रहा था। तस्करी के आरोप में पिता की गिरफ्तारी के बाद इस किशोर ने तस्करी के पूरे नेटवर्क की कमान अपने हाथ में ले ली और बेहद चालाकी से अवैध कारोबार को संचालित करता रहा।
सूत्रों के अनुसार, यह नाबालिग पाकिस्तान सीमा से सटे इलाके का रहने वाला है और अवैध तस्करी नेटवर्क का हिस्सा रहा है। उसके पिता को 3 साल पहले सीमा पार से प्रतिबंधित सामान और मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पिता की गिरफ्तारी के बाद बेटे ने न सिर्फ कारोबार को संभाला बल्कि नई तकनीक और संपर्क सूत्रों के जरिए एजेंसियों की निगरानी से खुद को बचाने में सफल रहा।
खुफिया सूत्रों का कहना है कि यह किशोर आधुनिक तरीकों से काम करता था — वह सोशल मीडिया ऐप्स के एन्क्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करता था और संपर्क के लिए फर्जी पहचान पत्रों का सहारा लेता था। इसके जरिये वह रेगिस्तानी इलाकों में छिपे रास्तों से तस्करी के माल को पार करवाने का काम करता था।
एजेंसियों ने पिछले कुछ महीनों में इस नेटवर्क पर नजर रखी, लेकिन नाबालिग की उम्र और कानूनी सुरक्षा के कारण उसके खिलाफ सीधी कार्रवाई नहीं हो सकी। बताया जा रहा है कि वह ड्रग्स, सोना, और प्रतिबंधित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की तस्करी में शामिल रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “नाबालिग होने का फायदा उठाते हुए आरोपी अपने गिरोह के लिए ढाल बन गया था। वह सीमा क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी का उपयोग कर तस्करी के रूट बदल देता था। हर बार जब एजेंसियां एक लोकेशन पर पहुंचतीं, वह पहले ही वहां से गायब हो चुका होता।”
जानकारी के अनुसार, तस्करी के लिए वह ऊंट और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल करता था और रात के समय सीमावर्ती गांवों के रास्ते से माल पार करवा देता था। कई बार उसने सीमा सुरक्षा बल (BSF) और राजस्थान इंटेलिजेंस ब्यूरो को भी गुमराह किया।
अब एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की गहरी जांच में जुटी हैं। पुलिस ने उसके संपर्क में रहे कई वयस्क सहयोगियों और स्थानीय सप्लायरों को चिन्हित किया है। जल्द ही इस तस्करी गिरोह पर बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, आरोपी नाबालिग बचपन से ही तस्करी के माहौल में पला-बढ़ा, जिसके कारण उसे इस गैरकानूनी धंधे की पूरी समझ है। पिता के जेल जाने के बाद उसने परिवार की आर्थिक जरूरतों का हवाला देकर यह रास्ता अपनाया।
हालांकि, अब खुफिया एजेंसियां इस नाबालिग को काउंसलिंग और पुनर्वास के तहत सुधार गृह भेजने की तैयारी में हैं, ताकि उसे तस्करी की दुनिया से बाहर लाया जा सके।
यह मामला राजस्थान में सीमा पार तस्करी के बढ़ते जाल और उसमें कम उम्र के युवाओं की बढ़ती भूमिका पर गहरी चिंता का विषय बन गया है।
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