उपराष्ट्रपति पद से जुलाई में अचानक इस्तीफा देने के बाद से जगदीप धनखड़ सार्वजनिक जीवन से गायब थे, जिससे विपक्ष में असमंजस और सवाल उठने लगे थे। धनखड़ की इस अचानक अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना लिया था, और विपक्ष ने इस पर कई बार सवाल किए थे। हालांकि, अब लगभग डेढ़ महीने बाद वह अपने उत्तराधिकारी सी पी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में नजर आए, जिससे राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मच गई।
राजनीतिक मंच पर पुनः लौटे धनखड़
सी पी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के दौरान, जगदीप धनखड़ ने सार्वजनिक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनका यह अचानक सार्वजनिक रूप से सामने आना कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां एक ओर उनकी अनुपस्थिति को लेकर विपक्षी दल सवाल उठा रहे थे, वहीं उनकी उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वह अब सार्वजनिक जीवन में अपनी भूमिका में वापस आ सकते हैं।
गहलोत ने की प्रतिक्रिया
धनखड़ की सार्वजनिक उपस्थिति के बाद, राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने कहा, "धनखड़ की लंबे समय बाद वापसी एक सवाल खड़ा करती है। उनका अचानक इस्तीफा देना और फिर इतने समय तक सार्वजनिक मंच से गायब रहना बहुत कुछ बताता है। जब एक नेता या कोई प्रमुख पदाधिकारी इस तरह से अचानक गायब हो जाता है, तो इसका कोई न कोई कारण तो जरूर होगा।"
गहलोत ने यह भी कहा कि राजनीतिक जीवन में ऐसे घटनाक्रम हमेशा सियासी मंशाओं को दर्शाते हैं, और उनके मुताबिक यह स्थिति देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों के लिए गंभीर सवाल खड़ा करती है। उन्होंने आगे कहा, "राजनीति में इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि किसी को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके निर्णय, कार्य और उनके क्रियाकलाप लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुरूप हों।"
विपक्षी दलों का सवाल
धनखड़ के इस्तीफे के बाद उनकी अनुपस्थिति को लेकर विपक्षी दलों ने कई बार सवाल उठाए थे। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर सवाल किया था कि क्या उनका इस्तीफा किसी और राजनीतिक उद्देश्य के तहत था? उनका यह अचानक गायब होना और फिर इतने समय बाद सामने आना इस बात की ओर इशारा करता है कि उनके फैसले में कुछ छिपी हुई मंशा हो सकती है।
धनखड़ का सार्वजनिक रूप से सामने आना उन सवालों का जवाब दे सकता है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक स्थिति का हिस्सा है, और अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनके इस्तीफे की असल वजह क्या थी।
नए उत्तराधिकारी का शपथ ग्रहण
धनखड़ के सामने आने के बाद, सी पी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। राधाकृष्णन की नियुक्ति से यह भी स्पष्ट होता है कि धनखड़ के इस्तीफे के बाद सरकार ने अपने नए उत्तराधिकारी का चयन किया। इस मौके पर धनखड़ ने समारोह में भाग लिया और राधाकृष्णन को बधाई दी। हालांकि, राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में भी धनखड़ की उपस्थिति को लेकर कुछ राजनीतिक हलचलें बनीं, जो अगले दिनों में और ज्यादा स्पष्ट हो सकती हैं।
राजनीतिक भविष्य पर सवाल
धनखड़ की अचानक वापसी और शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद उनकी राजनीतिक दिशा और भविष्य को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। क्या उनका सार्वजनिक मंच पर लौटना किसी नई राजनीतिक योजना का हिस्सा है या यह सिर्फ एक औपचारिकता थी, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
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