जिले के लखोटिया तालाब और सिटी टैंक में गंदे पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि इन जलाशयों का पानी पीने लायक नहीं है और इसके कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ रहे हैं। पीएचईडी (PHE Department) के अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है कि सिटी टैंक के पानी को अपने कार्यों में इस्तेमाल नहीं किया जाता।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि लखोटिया तालाब में गंदगी और जमी हुई मल-मूत्र की झाग दिखाई देती है। पानी में बदबू होने के कारण आसपास के क्षेत्र में रह रहे लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि इस तालाब का पानी न केवल पेयजल के लिए अनुपयोगी है, बल्कि आसपास के किसानों और पशुपालकों के लिए भी खतरा बन गया है।
पीएचईडी अधिकारियों का कहना है कि सिटी टैंक और लखोटिया तालाब का पानी सीधे उपयोग में नहीं लिया जाता। उन्होंने स्पष्ट किया कि जलाशयों के पानी का फिल्टर और ट्रीटमेंट के बाद ही वितरण किया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि विभाग लगातार तालाबों की सफाई और जल गुणवत्ता जांच के प्रयास कर रहा है।
हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने अधिकारियों से अपील की है कि तालाब और टैंक की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए और पानी की गुणवत्ता पर निगरानी बढ़ाई जाए। कई लोग चिंता जता रहे हैं कि अगर समय रहते सुधार नहीं किया गया तो जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि तालाब और जलाशयों में पानी की साफ-सफाई और निगरानी बहुत जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि नियमित जल परीक्षण, ट्रीटमेंट और आसपास की सफाई के माध्यम से इन जलाशयों को सुरक्षित और उपयोगी बनाया जा सकता है।
स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में कदम उठाने का आश्वासन दिया है। अधिकारियों का कहना है कि तालाब की सफाई और जल गुणवत्ता सुधारने के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है। इसके तहत गंदगी और जमा हुई सामग्री को हटाना, जल प्रवाह को सुचारू करना और नियमित जल परीक्षण करना शामिल है।
इस प्रकार, पाली के लखोटिया तालाब और सिटी टैंक में गंदा पानी न केवल स्थानीय लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है। पीएचईडी और स्थानीय प्रशासन की सतर्कता और नियमित निगरानी ही इसे सुरक्षित और उपयोगी बनाने में मददगार साबित होगी।
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