सरकारी नौकरी मिलने के बाद हर साल वेतन में बढ़ोतरी होती है। वेतन बढ़ता भी है, लेकिन 2008 में नियुक्त कई शिक्षकों को वेतन वृद्धि नहीं मिली है। उनका वेतन केवल एक बार, 2013 में, ₹3,500 से ₹4,200 बढ़ाया गया था। तब से, ये शिक्षक केवल ₹4,200 में अपना खर्च चला रहे हैं। 12 साल बाद, राजस्थान सरकार के प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों की पीड़ा को समझा है और उनके वेतन में वृद्धि की है।
2008 में, तत्कालीन भाजपा सरकार ने राज्य में लगभग 6,000 विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को सीधे शिक्षक के रूप में नियुक्त किया था। नियुक्ति के बाद, इन शिक्षकों को सरकार द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। इसके बावजूद, कुछ शिक्षक प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप, इन महिलाओं के वेतन में वृद्धि नहीं की गई। उन्हें शिक्षण कार्य के लिए ₹3,500 प्रति माह का भुगतान जारी रहा। इसे 2013 में बढ़ाकर ₹4,200 कर दिया गया, और उसके बाद से कभी नहीं बढ़ाया गया। राज्य में अध्यापन कर रही ऐसी 131 महिला शिक्षकों का वेतन अब 10,000 रुपये कर दिया गया है।
लाभ भी दिए जाने चाहिए
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ महिला शिक्षकों के वेतन वृद्धि के लिए लगातार अभियान चला रहा है। यह मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठाया गया था। सरकार को इन महिला शिक्षकों को सेवानिवृत्ति पर कुछ लाभ भी प्रदान करने चाहिए। 2008 में नियुक्त शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। वे बहुत कम वेतन पर अध्यापन कर रहे थे।
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