राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद रियासतकालीन गांव में शनिवार को ग्रामीणों ने 30 साल बाद ऐसा नजारा देखा कि उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। गांव की इकलौती खारी नदी 30 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बहने लगी और यह दृश्य ग्रामीणों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि नदी के सूखने के कारण पिछले तीन दशकों से खेती, जलापूर्ति और ग्रामीण जीवन प्रभावित रहा था। नदी के बहने से अब पानी की आपूर्ति तो सुनिश्चित होगी, साथ ही खेतों की सिंचाई और ग्रामीणों की दैनिक जरूरतों को भी राहत मिलेगी।
ग्रामीणों ने इस मौके पर वैदिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ नदी में पानी का स्वागत किया। स्थानीय पुरोहितों ने पूजा-अर्चना की, मंत्रोच्चारण किया और जल को पवित्र मानकर ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक नदी में हाथ डालकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान छोटे-छोटे बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी नदी के किनारे जमा हुए और खुशी के भाव साझा किए।
स्थानीय किसान रामलाल चौधरी ने कहा, “30 साल बाद हमारी खारी नदी बह रही है। यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं। हमारी फसल और खेती के लिए यह पानी बहुत जरूरी है। आज की खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।” वहीं, महिला ग्रामीण गीता देवी ने कहा कि बच्चों और परिवार के लिए पानी की समस्या हमेशा चिंता का कारण रही है। आज नदी के बहने से हर किसी के चेहरे पर मुस्कान है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की नदी का बहना मौसम और वर्षा पर निर्भर करता है। इस साल पर्याप्त वर्षा होने और आसपास के जलस्तर में सुधार के कारण खारी नदी बह निकली। यह न केवल जल संकट को कम करने में मदद करेगा, बल्कि इलाके के पारिस्थितिकी और जैव विविधता के लिए भी लाभकारी साबित होगा।
गांव के पंचायत प्रमुख ने बताया कि प्रशासन और जल संसाधन विभाग के सहयोग से नदी की बहाव क्षमता और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को नदी के पानी का सही उपयोग करने के लिए जागरूक किया जाएगा और नदी के किनारे साफ-सफाई और संरक्षण की जिम्मेदारी भी साझा की जाएगी।
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