मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) की कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा अपने एक विवादित बयान को लेकर लगातार सवालों के घेरे में हैं। पिछले चार दिनों से छात्र उनके बयान का विरोध कर रहे हैं। एक विशेष साक्षात्कार में, कुलपति सुनीता मिश्रा ने पहली बार अपना पक्ष रखा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह छात्रों के दबाव में नहीं आएंगी और विश्वविद्यालय का काम जारी रखेंगी।
"मैं आज दो कार्यक्रमों में शामिल होऊँगी।"
प्रोफेसर मिश्रा ने कहा, "हालांकि प्रशासन और छात्रों ने इस बात पर सहमति जताई है कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, मैं विश्वविद्यालय नहीं आऊँगी, लेकिन मैं छात्रों के कहे अनुसार नहीं चल सकती। मैं इस विश्वविद्यालय के छात्रों के भविष्य के लिए ज़िम्मेदार हूँ, इसलिए मैं जाऊँगी। आज मेरे दो कार्यक्रम भी हैं, और मैं उनमें शामिल होऊँगी।"
"मेरे अपने कर्मचारी इस विरोध प्रदर्शन के पीछे हैं।"
कुलपति सुनीता मिश्रा ने विरोध प्रदर्शन पर एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि यह छात्रों का विरोध प्रदर्शन नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में उच्च पदों पर आसीन उनके कुछ कर्मचारी छात्रों को भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय के छात्र बहुत अच्छे हैं।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब छात्र संगठन अपनी मांगों को लेकर लगातार चौथे दिन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
एनएसयूआई के दो छात्र भूख हड़ताल पर
कुलपति सुनीता मिश्रा द्वारा औरंगज़ेब को "कुशल प्रशासक" और महाराणा प्रताप व अकबर को "समान राजा" बताने वाले बयान के बाद छात्रों में काफ़ी रोष है। इस बयान को मेवाड़ और भारतीय इतिहास का अपमान बताते हुए छात्र उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। आज चौथे दिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों ने सभी कॉलेज बंद करा दिए और प्रशासनिक भवन के बाहर धरना दिया। इस बीच, एनएसयूआई के दो छात्र मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठ गए। इस मामले को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों से भी बयान आने शुरू हो गए हैं।
कुलपति को 6 घंटे तक कार्यालय में ही रखा गया
बुधवार को, प्रदर्शनकारी छात्रों ने कुलपति सुनीता मिश्रा को लगभग 6 घंटे तक उनके कार्यालय में ही बंद रखा। उन्होंने कार्यालय में ताला जड़ दिया और बिजली काट दी। मामला तब सुलझा जब प्रशासन ने छात्रों को लिखित में आश्वासन दिया कि विवाद का समाधान होने तक कुलपति विश्वविद्यालय नहीं आएँगे।
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