उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले के सरौरा गांव में शनिवार रात एक दलित परिवार की बारात पर कथित हमले और मारपीट का मामला सामना सामने आया है.
दलित परिवार का कहना है कि गांव के ठाकुर समुदाय के लोगों ने बारात को रोका, बारातियों के साथ मारपीट और लूटपाट की और जातिसूचक अपमानजक शब्दों का इस्तेमाल किया.
लेकिन दूसरे पक्ष का कहना है कि झगड़ा डीजे की आवाज़ और शराब पीने के मुद्दे पर हुआ. घटना के बाद गांव में तनाव फैल गया और पुलिस दोनों पक्षों को थाने ले गई.
थाना उघैती के एसएचओ अवधेश कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों के आरोपों की जांच की जा रही है और पुलिस ने फिलहाल शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया है.
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घटनाक्रम के अनुसार, सरौरा के निवासी विद्यारतन की बेटी की शादी एक नवंबर शनिवार रात को थी.
बारात नियत समय पर पहुंची. सब कुछ सामान्य चल रहा था.
विद्यारतन ने आरोप लगाया कि जब बारात ठाकुरों के मोहल्ले में पहुंची, तो विवाद शुरू हो गया.
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 BBC   दलित परिवार ने पुलिस को जो तहरीर दी है उसके मुताबिक, "ठाकुर समाज के कुछ लोगों ने बारात को रोक लिया और कहा कि दलितों की बारात ठाकुरों के इलाके से नहीं जा सकती."
लेकिन बदायूं के एसपी (देहात) हृदेश कठेरिया ने कहा, "डीजे की तेज़ आवाज़ को लेकर विवाद हुआ था. एक युवक और एक महिला घायल हैं. दोनों पक्षों की तहरीर पर निष्पक्ष जांच कराई जा रही है."
कठेरिया ने बीबीसी हिंदी को बताया कि दोनों तरफ़ से मुकदमा दर्ज किया गया है.
लोगों ने क्या बतायालड़की के पिता विद्यारतन ने बताया, "बारात के पहुंचने के कुछ देर बाद ही मारपीट, पत्थरबाज़ी और तोड़फोड़ शुरू हो गई. कुछ बारातियों से गहने और नकदी लूट ली गई और कई लोगों को चोटें आईं."
उनकी ओर से दर्ज शिकायत में पांच लोगों को नामज़द किया गया है और उनपर सख़्त कार्रवाई की मांग की गई है. विद्यारतन का कहना है, "ठाकुरों ने उन्हें सिर्फ़ इसलिए मारा क्योंकि वे दलित हैं."
पुलिस में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि कुछ लोगों ने 'जातिसूचक गालियां' दीं और बारातियों पर 'हमला' कर दिया.
परिवार ने यह भी कहा, "भीमराव अंबेडकर के पक्ष में गाना बजाना एक समाज को नागवार गुज़रा."
पुलिस ने इस मामले में चार लोगों के ख़िलाफ़ बीएनएस की धारा 115(2), 352 और 351(3) में मुकदमा दर्ज किया है.
शिकायत करने वाले धर्मवीर ने कहा, "डॉ. आंबेडकर का गाना बजाने पर आपत्ति की गई. इसके बाद झगड़ा हुआ. फ़िलहाल दोनों पक्षों के बीच समझौते का प्रयास किया जा रहा है."
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दूसरी ओर ठाकुर टोले के लोगों का कहना है कि घटना में 'जातीय भेदभाव' का कोई मामला नहीं है.
उनका दावा है कि बारात में शामिल कुछ युवक शराब के नशे में थे और डीजे की तेज़ आवाज़ से गांव में अशांति फैल रही थी. जब कुछ लोगों ने डीजे की आवाज़ कम करने को कहा, तो बारातियों ने गाली-गलौज की और झगड़ा शुरू हो गया.
इसी दौरान दोनों पक्षों में मारपीट और पथराव हुआ, जिसमें एक युवक और एक महिला घायल हो गए.
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें लोग गली में भागते और पत्थर फेंकते दिखाई दे रहे हैं.
विद्यारतन ने बताया, "माहौल बिगड़ने लगा तो कुछ लोगों ने दूल्हे को रथ से उतारकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया."
उधर, क्रॉस एफ़आईआर में विग्नेश देवी की ओर से दर्ज शिकायत में कहा गया है, "बारात और लड़की पक्ष के युवक ठाकुरों के घरों के बाहर पहुंचे और तोड़फोड़ व पथराव करने लगे. कई घरों के दरवाज़े तोड़ दिए गए और एक महिला को सिर पर पत्थर लगने से चोट आई."
इसमें छह लोगों के ख़िलाफ़ बीएनएस की धारा 191(2), 125 और 115(2) में शिकायत दर्ज कराई गई है.
एससी पर यूपी में सबसे ज़्यादा अपराधपिछले महीने में उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाओं की वजह से राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ है. विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है.
रायबरेली में एक अक्तूबर को दलित शख़्स हरिओम वाल्मीकि की पीट-पीट कर हत्या का मामला सामने आया था.
20 अक्तूबर को राजधानी लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र के शीतला माता मंदिर में 65 वर्षीय दलित बुज़ुर्ग रामपाल के साथ कथित तौर पर पेशाब चटवाने का मामला सामने आया था.
इसके अलावा बस्ती ज़िले के कलवारी थाना क्षेत्र में 20 अक्तूबर को एक घटना हुई. यहां एक ब्राह्मण परिवार के लोगों पर दलित युवक श्रीचंद को पेड़ से बांधकर पीटने का आरोप है.
हमीरपुर ज़िले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के सिमनौड़ी गांव में भी 5 अक्तूबर को ऐसी ही घटना सामने आई है.
आरोप है कि यहाँ पुरानी रंजिश की वजह से कथित तौर पर उच्च जाति के दबंग लोगों ने उमेश आहरवार नामक युवक को सड़क पर रोककर पीटा और उसे जूता चाटने पर मजबूर किया.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित जातियों (एससी) के लोगों के ख़िलाफ़ कुल 57,789 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा 15,130 मामले दर्ज हुए.
'भारत में अपराध 2023' रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जातियों के ख़िलाफ़ अपराधों में 2022 की तुलना में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जब ऐसे 57,582 मामले दर्ज हुए थे.
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