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कनाडा में कैसे होता है प्रधानमंत्री का चुनाव, जानिए रेस में कौन-कौन हैं शामिल

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BBC कनाडा में संघीय चुनाव में 28 अप्रैल को वोटिंग होनी है

बीते महीने लिबरल पार्टी का नेता चुने जाने के बाद पूर्व बैंकर मार्क कार्नी ने कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन इसके तुरंत बाद उन्हें चुनावों के लिए तैयारी शुरू करनी पड़ी.

जनवरी में पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद से ही कनाडा में कई नेता मतदान कराने की मांग कर रहे थे.

लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा पर लगाए गए टैरिफ़ और ट्रेड वॉर के बाद जल्द चुनाव करवाना कनाडा के लिए मुमकिन नहीं था.

लेकिन अब कनाडा में 28 अप्रैल को वोटिंग होनी है.

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क़ानूनन कनाडा में दो संघीय चुनावों के बीच पांच साल का अधिकतम अंतर होना चाहिए.

आधिकारिक तौर पर कनाडा में 20 अक्तूबर 2025 को चुनाव होने थे. लेकिन हालात कुछ ऐसे बने जिसकी वजह से यहां जल्दी चुनाव करवाए जा रहे हैं.

कनाडा में जल्द चुनाव तब होते हैं जब या तो गवर्नर जनरल प्रधानमंत्री की सलाह मानकर संसद को भंग कर दें, या फिर संसद में सरकार के बहुमत नहीं साबित करने के बाद गवर्नर जनरल प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लें.

मार्क कार्नी ने पहले विकल्प को चुना है.

कनाडा में कैसे चुनते हैं प्रधानमंत्री? image BBC कनाडा में 28 अप्रैल को वोटिंग होनी है

कनाडा के संघीय चुनाव में वोटर्स सीधे पीएम के लिए वोट नहीं डालते हैं. वो संसद के सदस्यों के लिए वोट करते हैं.

इसका मतलब है कि कार्नी को चुनाव लड़ना होगा. वहीं नेता विपक्ष पियरे पोलीवियरे भी चुनाव में होंगे.

वहीं न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह को भी चुनाव लड़ना होगा.

एक सवाल ये है कि कौन से दल चुनाव में अपने कैंडिडेट्स उतार सकती हैं?

कनाडा के इस बार के चुनाव में चार मुख्य दल हिस्सा ले रहे हैं. इनमें लिबरल्स, कंजर्वेटिव, न्यू डेमोक्रेटिक और ब्लॉक क्यूबेकॉइस शामिल हैं.

लिबरल पार्टी 2015 से सत्ता में है (तब जस्टिन ट्रूडो पीएम चुने गए थे).

जब संसद को भंग किया गया उस वक्त लिबरल पार्टी के पास 153 सीटें थी. वहीं कंजर्वेटिव पार्टी 120 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी दल बनी हुई थी.

ब्लॉक क्यूबेकॉइस 33 सीटों के साथ संसद में तीसरी बड़ी पार्टी थी और एनडीपी के हिस्से में 24 सीटें थीं.

ग्रीन पार्टी को बीते चुनाव में केवल दो सीटों पर जीत मिली थी.

ओपिनियन पोल्स में पहले कंजर्वेटिव पार्टी को बढ़त मिलती हुई दिखाई दे रही थी. लेकिन ट्रूडो के इस्तीफ़ा देने के बाद ओपिनियन पोल्स में दोनों दलों, यानी लिबरल्स और कंज़र्वेटिव के नंबर्स में खास अंतर दिखाई नहीं दे रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फै़सलों के बाद कनाडा के चुनाव में उम्मीदवारों के बीच टक्कर बेहद कड़ी नज़र आ रही है. अप्रैल के मध्य में नेशनल पोल्स में लिबरल्स को मामूली बढ़त मिलती हुई दिखाई दी.

ओपिनियन पोल्स क्या कहते हैं? image Getty Images लिबरल्स और कंजर्वेटिव के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान है

जब ट्रूडो ने 2025 की शुरुआत में पीएम के पद से इस्तीफ़ा दिया तब उन पर अपनी ही पार्टी की तरफ से काफी दबाव था. ऐसा माना जा रहा था कि उनकी लोकप्रियता कम होने का ख़मियाजा लिबरल्स को भुगतना पड़ सकता है और अगला चुनाव जीतने की उनकी उम्मीदें कम होती जा रही हैं.

कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ने नेशनल पोलिंग एवरेज का जो डेटा शेयर किया उसके मुताबिक़ 2023 और 2024 में लिबरल्स पार्टी के समर्थन में लगातार कमी दर्ज की गई.

ठीक उसी दौरान कंजर्वेटिव के समर्थन में इजाफ़ा देखने को मिला. 20 जनवरी 2025 को जब ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने उस दिन कंजर्वेटिव का ग्राफ़ 44.8 फ़ीसदी पर था, जबकि लिबरल्स का ग्राफ़ महज 21.9 फ़ीसदी पर था.

लेकिन उसके बाद से सामने आ रहे पोल में लिबरल्स के लिए समर्थन में बढ़ोतरी देखी गई है. ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि लिबरल पार्टी के पास 40 फ़ीसदी से थोड़ी ज्यादा बढ़त है. वहीं कंजर्वेटिव को 40 फ़ीसदी से थोड़ा कम समर्थन हासिल है.

तीन साल में यह पहला मौक़ा है जब लिबरल्स को पोल्स में बढ़त मिली है.

व्यापार को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की धमकियां, बढ़ती महंगाई और घरों की तादाद कनाडा के वोटर्स के बीच मुख्य चुनावी मुद्दे हैं.

कनाडा में संघीय चुनाव कैसे काम करते हैं? image BBC

कनाडा में 343 संघीय क्षेत्र हैं, जिन्हें निर्वाचन क्षेत्र या चुनावी जिले भी कहा जाता है. हर चुनावी जिले के पास हाउस ऑफ़ कॉमन्स में एक सीट होती है.

निचले सदन यानी हाउस ऑफ़ कॉमन्स की हर सीट पर चुनाव होता है.

वहीं ऊपरी सदन सीनेट के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है, वो चुनाव नहीं लड़ते हैं.

ब्रिटेन की तरह कनाडा में भी "फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट" चुनाव प्रणाली है.

हर क्षेत्र में जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं वो जीत दर्ज करने में कामयाब रहते हैं और सांसद बनते हैं. उन्हें कुल डाले गए वोटों में बहुमत हासिल करने की ज़रूरत नहीं होती है.

जिस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें हासिल होती हैं उसके नेता सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं. वहीं दूसरा सबसे बड़ा दल मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल करता है.

अगर किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो नतीजों को हंग पार्लियामेंट के रूप में देखा जाता है, या फिर माइनॉरिटी सरकार का गठन होता है.

इसका मतलब है कि सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली पार्टी बिना दूसरे दलों के सहयोग के कोई भी बिल पास नहीं करवा सकती.

मार्क कार्नी image Reuters मार्क कार्नी इस साल मार्च में ही प्रधानमंत्री बने

60 साल के मार्क कार्नी कनाडा के पीएम हैं. हालांकि उन्हें पद संभाले हुए कुछ ही वक्त हुआ है.

मार्क को जब लिबरल पार्टी का नेता चुना गया तब उन्हें पार्टी के 85 फ़ीसदी वोट हासिल हुए.

कनाडा और ब्रिटेन में कुछ लोगों के लिए कार्नी जानामाना चेहरा रहे हैं. वो फाइनेंशियल मामलों के एक्सपर्ट्स हैं और बैंक ऑफ़ कनाडा और बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के मुखिया रहे हैं.

उनका जन्म फोर्ट स्मिथ में हुआ और वह नॉर्थ के हिस्से से आने वाले कनाडा के पहले पीएम हैं.

कार्नी ने हावर्ड और ऑक्सफर्ड जैसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. कार्नी ने डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ मज़बूत स्टैंड लिया है और कहा है कि वो कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य कभी नहीं बनने देंगे.

ट्रंप ने दावा किया था कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहते हैं.

लेकिन अभी तक एक बार भी कार्नी, कनाडा के पब्लिक ऑफ़िस के लिए नहीं चुने गए हैं. विरोधियों के मुक़ाबले उनकी फ्रेंच भी ज्यादा अच्छी नहीं है. कनाडा के क्यूबेक प्रांत में फ्रेंच भाषा जानना आम है.

चुनाव अभियान के दौरान ज्यादा ब्रेक लेने की वजह से उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा है.

पियरे पोलीवियरे image Reuters पियरे पोलीवियरे मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता हैं

45 साल के पियरे पोलीवियरे कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता है. वो अलबर्टा के कैलगरी से हैं और बीते दो दशक से कनाडा की राजनीति में सक्रिय हैं.

पहली बार वो 25 साल की उम्र में सांसद चुने गए थे, उस वक्त वो कनाडा के सबसे युवा सांसद थे.

उसी वक्त से वो आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम करने और छोटी सरकार की वकालत कर रहे हैं.

पोलीवियरे लिबरल पार्टी को निशाने पर लेते रहे हैं. उनका आरोप है कि ट्रूडो की नीति की वजह से कनाडा के लोगों की जिंदगी मुश्किल हो गई है.

जुलाई 2023 के बाद से मार्च 2025 तक पोल्स में पोलीवियरे को बढ़त मिलती दिखी. लेकिन ट्रूडो के इस्तीफ़े के बाद उनके लिए आगे ही राह मुश्किल होती नज़र आ रही है.

ब्लॉक क्यूबेकॉइस पार्टी के नेता image Getty Images ब्लैंचेट 2019 से ब्लॉक क्यूबेकॉइस पार्टी के नेता हैं

ब्लॉक क्यूबेकॉइस पार्टी सिर्फ उन क्षेत्रों में चुनाव लड़ती है जहां फ्रेंच बोली जाती है.

ब्लॉक क्यूबेकॉइस पार्टी के नेता की पीएम बनने की कोई संभावना नज़र नहीं आती है. हालांकि ये पार्टी चुनाव में अहम भूमिका रखती है.

अगर किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो ब्लॉक क्यूबेकॉइस की भूमिका निर्णायक हो जाती है.

ब्लैंचेट 2019 से पार्टी की अगुवाई कर रहे हैं. उन्होंने भी ट्रंप के उस बयान की आलोचना की जिसमें ट्रंप ने कहा कि वो कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहते हैं.

घरेलू मामलों पर ब्लैंचेट ट्रेड पार्टनर्स को बढ़ाने की बात करते हैं और उनका मानना है कि इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती है.

जगमीत सिंह image Reuters जगमीत सिंह कनाडा में किसी मुख्य पार्टी के नेता बनने वाले पहले सिख हैं

जगमीत सिंह 46 साल के हैं और एनडीपी के नेता हैं. उनकी राजनीति का फोकस वर्कर्स और मजदूरों के मुद्दों के इर्द-गिर्द है.

उन्होंने 2017 में उस वक्त इतिहास रच दिया जब वो कनाडा में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी का नेतृत्व करने वाले अल्पसंख्यक और सिख समुदाय से आने वाले पहले नेता बने.

2019 वो सांसद चुने गए. 2021 से एनडीपी ने ट्रूडो की लिबरल पार्टी को सरकार बनाए रखने में मदद की.

लेकिन अभी की बात की जाए तो उनकी पार्टी को ज्यादा समर्थन हासिल नहीं है. अप्रैल के मध्य में हुए पोल्स में 8.5 फ़ीसदी लोगों ने एनडीपी को वोट देने की इच्छा ज़ाहिर की.

सवाल ये है कि क्या एनडीपी उतनी सीटें हासिल कर पाएगी जितनी उसे पिछली बार मिली थी, और क्या उसके पास आधिकारिक पार्टी का दर्जा बरकरार रहेगा.

2010 तक एनडीपी इतनी सीटें जीतने में कामयाब हो जाती थी जिससे उसे मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा मिल जाता था. लेकिन अब पार्टी के पास 338 में से 24 ही सांसद हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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