भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का एक और को-ऑपरेटिव बैंक पर चाबुक चला है। इस बार उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। केंद्रीय बैंक के द्वारा यह कार्रवाई कोऑपरेटिव बैंक के द्वारा बैंकिंग नियमों का पालन नहीं करने और उसकी कमजोर स्थिति के कारण की गई है। एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्दआरबीआई के द्वारा बयान जारी करके बताया गया कि एचसीबीएल को ऑपरेटिव बैंक के पास ना ही काम करने के लिए पर्याप्त पूंजी है और ना ही भविष्य में काम की कोई संभावनाएं दिखाई दे रही है। इसके अलावा इस को ऑपरेटिव बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के कुछ नियमों का पालन नहीं किया। इसलिए बैंक के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए उसका लाइसेंस रद्द किया जा रहा है। आरबीआई के फैसले के बाद तत्काल प्रभाव से बैंक की सभी गतिविधियों जैसे जमा स्वीकार करना निकासी आदि बंद कर दी गई है। एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों का क्या होगा?केंद्रीय बैंक के द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि बैंक का संचालन जारी रखना जमाकर्ताओं के हित के विपरीत है। बैंक को बंद करने के लिए एक लिक्विडेटर की नियुक्ति की जाएगी। हालांकि ग्राहकों के लिए राहत की बात यह है कि जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम द्वारा से भी जमा कर्ताओं को 5,00,000 तक के जमा की बीमित राशि प्रदान की जाएगी। बैंक में ऐसे 98.69 जमा करता है जिनके जमा राशि 5 लख रुपए से कम है। उन्हें अपना पूरा जाम डीआईसीजीसी से प्राप्त हो जाएगा। केंद्रीय बैंक के द्वारा यह जानकारी भी दी गई की 31 जनवरी 2025 तक पहले ही डीआईसीजीसी के द्वारा कुल बीमित जमा राशि में से 21.24 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। केंद्रीय बैंक की ग्राहकों को सलाह ग्राहकों के बीच फैली अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए आरबीआई ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे डीआईसीजीसी की प्रक्रिया का पालन करें और जल्द से जल्द अपने दावे दर्ज करें। भारत में पहले किन बैंकों के लाइसेंस रद्द हुए?आरबीआई के द्वारा समय-समय पर ऐसे बैंकों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है जो बैंकिंग नियमों का पालन नहीं करते हैं। इन बैंकों में इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, जालंधर (2025), कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक, अहमदाबाद (2025), अजंता अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, औरंगाबाद (2025), पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (2019) आदि शामिल हैं। सहकारी बैंकों पर आरबीआई की सख़्ती सहकारी बैंक छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कई बार खराब प्रबंधन, वित्तीय अनियमितताएं और धोखाधड़ी के कारण इन बैंकों की स्थिति बिगड़ जाती है। आरबीआई का मुख्य उद्देश्य जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है।
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