केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 18 सितंबर को बिहार के भागलपुर और सासाराम का दौरा किया। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार के 20 जिलों के नेताओं से फीडबैक प्राप्त करना था। यह दौरा प्रधानमंत्री के हालिया दौरे के बाद हुआ है। इससे पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने भी राजनीतिक हलचल पैदा की थी।
तेजस्वी यादव की जन अधिकार यात्रा चल रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि इस बार बिहार का चुनावी परिणाम क्या होगा।
राजनीतिक समीकरण
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का मानना है कि इस बार बिहार में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा। कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि भाजपा के पास स्थानीय स्तर पर कोई मजबूत नेता नहीं है, और वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निर्भर हैं, जो अब पहले जैसे नहीं रहे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने दावा किया कि एनडीए फिर से सत्ता में आएगा। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को महागठबंधन के बारे में समझाने की आवश्यकता नहीं है। भाजपा ने 243 विधानसभा सीटों के लिए 'चलो जीते हैं' के नारे के साथ 243 वाहनों को रवाना किया है।
नीतीश कुमार का प्रभाव
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो पिछले 25 वर्षों से इस पद पर हैं, अभी भी सबसे प्रमुख नेता माने जाते हैं। जदयू के मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने चुनावों के बारे में सवाल पूछने पर मुस्कराते हुए आगे बढ़ गए। एक मंत्री ने कहा कि प्रचार अभी जारी है और चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
सूत्रों का कहना है कि इस बार चुनाव परिणाम 2020 से भिन्न हो सकते हैं, क्योंकि लोजपा के चिराग पासवान एनडीए के साथ हैं।
भाजपा की रणनीति
अमित शाह चुनावी रणनीति में गहराई से काम करते हैं। वह पार्टी संगठन से फीडबैक लेते हैं और कई स्तरों पर रणनीति बनाते हैं। उनका ध्यान पिछले चुनाव में जीती हुई सीटों की कमजोरी को दूर करने पर है।
भाजपा ने 2020 में 74 सीटें जीती थीं, जबकि राजद ने 75 सीटें हासिल की थीं। इस बार भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार को भी महत्वपूर्ण मान रही है।
2025 का चुनाव
बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की 'जन सुराज पार्टी' पहली बार चुनावी मैदान में उतरेगी। आम आदमी पार्टी भी चुनाव में भाग लेगी। लोजपा के चिराग पासवान एनडीए के साथ हैं, जबकि उनके चाचा पशुपति पारस महागठबंधन की ओर जा सकते हैं।
दिल्ली की एक चुनाव सर्वेक्षण एजेंसी के अशोक कुमार ने कहा कि 'जन सुराज पार्टी' युवाओं में लोकप्रियता हासिल कर रही है। हालांकि, जातिगत गोलबंदी इस बार भी महत्वपूर्ण होगी।
कांग्रेस की रणनीति
बिहार कांग्रेस के कुछ नेता चाहते हैं कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े, जबकि राहुल गांधी की सलाहकार मंडली महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।
राजद के नेता मानते हैं कि तेजस्वी यादव का प्रभाव इस बार महत्वपूर्ण होगा। हालांकि, राहुल गांधी का सचिवालय अभी चुनाव को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है।
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