जुड़वां बच्चे होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। खासकर बच्चे अगर हमशक्ल हों तो थोड़ी खास बात होती है। लेकिन अगर हम कहें कि इस देश में एक गांव में ऐसा भी है जहां ज्यादातर बच्चे जुड़वां ही पैदा होते हैं तो आप भी हैरान हो जाएंगे। इसके बाद अगर हम ये भी कहें कि इनमें सभी बच्चे हमशक्ल भी होते हैं तो आपको बिल्कुल भी यकीन नहीं होगा।
वैसे ये कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। जी हां दक्षिण भारत के केरल राज्य में कुछ ऐसा ही होता आ रहा है और वो भी कई दशकों से ऐसा होना जारी है। ये अनोखा गांव केरल ही नहीं बल्कि लंदन तक के वैज्ञानिकों के लिए पहेली बन गया है। आइए जानते हैं वो कौन सा गांव है जहां जुड़वां और हमशक्ल बच्चे पैदा होते हैं और वैज्ञानिकों ने रिसर्च में क्या पाया है।
मणप्पपुरम जिले में है ये गांवजुड़वां बच्चों वाला ये गांव केरल के मणप्पपुरम जिले में मौजूद है। यहां एक गांव है जिसका नाम कोडिनी है। वैसे तो ये गांव दूसरे गांव जैसा ही दिखता है और साधारण सा है लेकिन इसका नाम भारत ही नहीं विदेशों तक के लोगों की जुबान पर है।
इसकी वजह इस गांव की खासियत है जो कोडिनी गांव को दूसरे गांवों से एकदम अलग कर देती है। इस अनोखे गांव में ज्यादातर जुड़वा और हमशक्ल बच्चे ही पैदा होते हैं। जी हां आपको भले ही यकीन न हो रहा हो लेकिन ये बात 100 फीसदी सच है। यहां ज्यादातर परिवारों में जुड़वा और हमशक्ल बच्चे हैं।
परिवार 2000, 400 जोड़ी जुड़वाकोडिनी नाम के अनोखे गांव में इस समय 2000 परिवार रहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में इस समय 400 जोड़ी जुड़वा बच्चे हैं। ये सिलसिला कई दशकों से चला आ रहा है और अब तक जारी है। इसी वजह से इस गांव का नाम ही ट्विन विलेज पड़ गया है। यही नहीं जो लोग इस गांव में रहने आ जाते हैं उनके भी जुड़वा बच्चे पैदा हो जाते हैं।

इन्हीं लोगों में से एक 46 वर्षीय शमसाद बेगम हैं। वो अपने पति के साथ साल 2000 में इस गांव में रहने आई थीं। उनको भी जब बच्चे हुए तो वो भी जुड़वा हुए। शमसाद बताती हैं कि उनकी पांच पीढ़ियों में कभी किसी महिला को जुड़वा बच्चे नहीं हुए।
वहीं कुछ लोगों के लिए ये वरदान मुसीबत भी बन गया है। ऑटोरिक्शा ड्राइवर अभिलाष ने बताया कि उनके दो-दो जुड़वा बच्चे हो चुके हैं। अब चार बच्चों का बोझ वो सह नहीं पा रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया ये है कारणइस अनोखे गांव में जुड़वा बच्चे होने की रिसर्च केरल ही नहीं बल्कि लंदन तक के वैज्ञानिक कर रहे हैं। इस गांव से बालों से लेकर लार तक के सैंपल लिए गए हैं। वैसे तो साफ नहीं हो सका है कि इस गांव में ऐसा क्या है कि लोगों के जुड़वा बच्चे ही होते हैं।
फिर भी वैज्ञानिकों ने इसके पीछे आनुवांशिक कारण ही बताया है। केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशियन स्टडीज के शोधकर्ता प्रोफेसर ई प्रीतम ने बताया कि आनुवांशिक कारणों से ही ऐसा होना संभव है।
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