बीजिंग, 20 अक्टूबर . ईस्ट एशिया फोरम (ईएएफ) द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक लेख में बताया गया कि हाल के वर्षों में, हरित उद्योगों में चीनी कंपनियों का विदेशी निवेश तेजी से बढ़ा है, जो वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रक्रिया के लिए एक शक्तिशाली प्रेरक शक्ति बन गया है.
अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय के विद्वान मौसम कुमार द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया कि वर्ष 2022 से, चीनी कंपनियां वैश्विक हरित उद्योगों में 220 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करने के लिए सहमत हुई हैं, जिसमें बैटरी, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, नव ऊर्जा वाहन और हाइड्रोजन ऊर्जा जैसे क्षेत्र शामिल हैं. ऐसे क्षेत्र जिनमें चीनी विनिर्माण को मजबूत प्रतिस्पर्धी लाभ प्राप्त है. चीनी कंपनियों की वित्तीय और तकनीकी क्षमताएं वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.
लेख के अनुसार, भौगोलिक दृष्टि से, चीनी कंपनियों के हरित निवेश दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप के 54 देशों में फैले हुए हैं. वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलावों, कार्बन-मुक्ति की प्रगति में अनिश्चितताओं और पेरिस समझौते के उत्सर्जन न्यूनीकरण लक्ष्यों की पृष्ठभूमि में, चीनी कंपनियों के कार्यों ने महत्वपूर्ण स्थिरीकरण की भूमिका निभाई है.
लेख में यह भी कहा गया है कि हरित उद्योगों में चीन के विदेशी निवेश की वर्तमान वृद्धि व्यवसायों द्वारा संचालित है और मुख्यतः बाजार तंत्रों के माध्यम से संचालित होती है. चीनी कंपनियों के पास विश्व-अग्रणी तकनीक और उत्पादन क्षमताएं हैं, और उनका विदेशी निवेश वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक शक्तिशाली प्रेरक शक्ति बन गया है, जिससे ग्लोबल साउथ में संयुक्त डीकार्बोनाइजेशन परियोजनाएं संभव हो रही हैं.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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