Bhopal , 4 नवंबर . Madhya Pradesh के कई क्षेत्रों में वन्य प्राणी किसानों के लिए समस्या बने हुए हैं. इन वन्य प्राणियों के पुनर्वास के लिए हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का सहारा लेकर नौ सौ से ज्यादा वन्य प्राणियों का पुनर्वास किया गया. राज्य के किसानों की फसलों को नुकसान से बचाने के लिए शाजापुर, उज्जैन और आसपास के इलाकों में हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का सफल प्रयोग वन्य जीवों को सुरक्षित पकड़कर स्थानांतरित करने के लिए किया गया.
कृष्णमृगों और नीलगायों के लिए अमल में लाया गया प्रयोग सफल रहा. Chief Minister मोहन यादव ने कहा कि यह अभियान वन्य जीव संरक्षण और किसानों की सुरक्षा, दोनों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. Madhya Pradesh में हम ऐसा संतुलन स्थापित करना चाहते हैं जहां प्रकृति, वन्य जीव और किसान, तीनों सामंजस्य के साथ आगे बढ़ें. राज्य में चलाए गए इस अभियान में दक्षिण अफ्रीका की ‘कंजरवेशन सॉल्यूशंस’ कंपनी के 15 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. विशेषज्ञों ने प्रदेश में वन विभाग की टीम को प्रशिक्षित किया और उनके सहयोग से 10 दिन तक लगातार अभियान चलाया गया.
अभियान में रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया. इस तरह के अभियानों के लिए इसे विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है. हेलीकॉप्टर से पहले खेतों और खुले क्षेत्रों में वन्य जीवों की लोकेशन का सर्वे किया गया. इसके बाद रणनीतिक रूप से ‘बोमा’ बनाया गया. हेलीकॉप्टर की सहायता से फिर धीरे-धीरे हांका लगाकर जानवरों को सुरक्षित रूप से एक फनल (शंकु) आकार की बाडे़ में प्रवेश कराया गया, जो जानवरों को भयभीत होने से बचाने के लिए घास और हरे जाल से ढंकी होती है. बोमा में आए वन्य जीवों को वाहनों से सुरक्षित रूप से अभयारण्य तक पहुंचाया गया.
अभियान में अनुभवी दक्षिण अफ्रीकी पायलट के साथ भारतीय पायलट शामिल किए गए. लगभग दस दिनों तक चले इस अभियान में कुल 913 वन्य जीवों को सफलतापूर्वक पकड़कर पुनर्वास कराया गया. इनमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगाय शामिल हैं. सभी नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य के 64 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में छोड़ा गया. कृष्णमृगों को गांधीसागर, कूनो और नौंरादेही अभयारण्यों के उपयुक्त स्थानों पर पुनर्स्थापित किया गया. अभियान में वन्य जीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई.
सभी वन्य जीव अब अपने नए आवासों में स्वच्छंद होकर विचरण कर रहे हैं. अभियान के अंतिम दिन भी 142 कृष्णमृग पकडे़ गए. वन विभाग ने वन्य जीवों के पुनर्वास के लिए चलाए गए अभियान में एक विशेष प्रशिक्षित दल तैयार किया है, जो दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है.
यह दल भविष्य में राज्य के अन्य जिलों में भी इस प्रकार के कैप्चर ऑपरेशन्स संचालित करेगा. जिला प्रशासन और ग्रामीण समुदाय ने इस अभियान में सक्रिय सहभागिता की. अभियान के दौरान यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि इस तकनीक से किसी भी वन्य जीव को बेहोश (ट्रैंक्युलाइज) करने की आवश्यकता नहीं पड़ी. वन्य जीवों को पकड़ने की यह जिससे पूरी प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक बनी रही.
–
एसएनपी/डीकेपी
You may also like

UPSSSC Forest Guard Admit Card 2025: यूपी फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी, 9 नवंबर को एग्जाम, देखें नोटिस

शिव नादर एक बार फिर बने देश के सबसे ज्यादा दान देने वाले व्यक्ति, जानें अंबानी और अडानी का कौन सा स्थान

एसबीआई की सब्सिडियरी एसबीआईएफएमएल का जल्द आने जा रहा आईपीओ

चौथा टी20 मैच : अर्धशतक चूके शुभमन गिल, ऑस्ट्रेलिया को 168 रन का टारगेट

गेमर्स के लिए आया 'पानी वाला फोन', घंटो गेम खेलने पर भी नहीं होगा गर्म, जानें फीचर्स




