सांबा, 18 अक्टूबर . जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले का नाम उन जिलों में शामिल होता जा रहा है, जहां के किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं. इसी कड़ी में तारोर गांव के किसान रामपाल शर्मा का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिन्होंने मेहनत, लगन और आधुनिक सोच के दम पर खुद को एक सफल और उन्नत किसान के रूप में स्थापित किया है.
पिछले 10 वर्षों से रामपाल शर्मा खेती के क्षेत्र में प्रयोगधर्मी रुख अपनाए हुए हैं. उन्होंने समय-समय पर कृषि विभाग के प्रशिक्षण कार्यक्रमों, Governmentी योजनाओं और तकनीकी सहायता का लाभ उठाकर खेती को एक लाभदायक व्यवसाय बना दिया है.
रामपाल शर्मा बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं, धान और मक्का की खेती की, लेकिन समय के साथ उन्होंने महसूस किया कि अगर किसान फसल विविधिकरण और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें, तो कम भूमि में भी अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. इसी सोच ने उन्हें फूलों की खेती की ओर प्रेरित किया.
वर्तमान में रामपाल शर्मा 12 कनाल भूमि में विभिन्न प्रकार के सजावटी फूलों की खेती कर रहे हैं, जिनकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है. उनका कहना है कि फूलों की खेती में देखभाल और मेहनत जरूर ज्यादा लगती है, लेकिन अगर वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो मुनाफा भी उतना ही अधिक होता है.
उन्होंने कहा कि केवल चार महीने की फसल में मुझे लगभग 5 लाख रुपए तक का शुद्ध मुनाफा हो जाता है.
रामपाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग, फ्लोरीकल्चर विभाग, बागवानी विभाग, और राष्ट्रीय बागवानी मिशन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया है. इन योजनाओं के तहत उन्हें ड्रिप सिंचाई प्रणाली, फूलों के बीज और पौधों पर सब्सिडी तथा तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है.
वो कहते हैं, “Government की योजनाओं का सही उपयोग करके किसान अपनी लागत घटा सकते हैं और उत्पादन बढ़ा सकते हैं. मैंने भी इन्हीं योजनाओं से लाभ उठाकर अपनी खेती को नए स्तर पर पहुंचाया है.”
रामपाल शर्मा पूरे जम्मू संभाग के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया है. उनका कहना है कि किसान अगर नई सोच अपनाएं और खेती को एक व्यवसाय की तरह देखें, तो वह आत्मनिर्भर बन सकता है. हमारी भूमि और जलवायु इतनी अनुकूल है कि हर फसल यहां सफल हो सकती है.
उनका लक्ष्य है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ें और सांबा के किसान आधुनिक खेती की राह पर आगे बढ़ें. किसान रामपाल शर्मा की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर किसान समय के साथ खुद को बदलें, नई तकनीक अपनाएं और Governmentी योजनाओं का लाभ उठाएं, तो खेती भी एक अत्यधिक लाभदायक और सम्मानजनक पेशा बन सकती है.
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एमएस/पीएसके
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