अमेठी, 9 मई . देश ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर निर्णायक कदम बढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और अदाणी फाउंडेशन की संयुक्त पहल से अमेठी के टिकरिया क्षेत्र के गांवों में क्रांतिकारी बदलाव दिख रहा है. अदाणी समूह के एसीसी सीमेंट प्लांट के सीएसआर फंड से प्रति लाभार्थी 15,000 रुपये की सहायता और सरकारी सब्सिडी के सहारे ग्रामीणों के घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि भारत की ऊर्जा क्रांति का अगला अध्याय है. यह पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता को एक साथ साधने वाली पहल है. अब सूरज सिर्फ उगता नहीं, कमाता भी है और वह भी आपके अपने आंगन से. भारत सरकार की योजना के तहत देशभर में एक करोड़ घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने का लक्ष्य है, जिससे हर घर को हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त या सस्ती बिजली मिलेगी.
इस पहल से घरेलू खर्च कम होंगे, हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिलेगी. योजना का लक्ष्य 2026-27 तक 30 गीगावाट रूफटॉप सौर क्षमता स्थापित करना है, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए भी रोजगार के नए द्वार खुलेंगे. अदाणी फाउंडेशन की टीम ने गांव-गांव जाकर योजना के लाभों की जानकारी दी, लाभार्थियों की सूची बनाई, राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकरण कराया और चयनित वेंडर के माध्यम से सोलर प्लांट लगवाए. अब तक 90 घरों में सौर पैनल स्थापित हो चुके हैं.
हर घर में सोलर पैनल के साथ ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना’ की ब्रांडिंग की गई है, ताकि और लोग भी प्रेरित हो सकें. अगर कोई लाभार्थी 1 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाता है (कुल लागत 65,000 रुपये), तो 45,000 रुपये की सरकारी सब्सिडी और 15,000 रुपये की अदाणी फाउंडेशन की मदद के बाद उसे केवल 5,000 रुपये देने होते हैं. इससे रोजाना औसतन 4.5 यूनिट बिजली का उत्पादन होता है, जिससे हर महीने लगभग 877 रुपये की आमदनी होती है. बड़े सिस्टम पर यह कमाई और बढ़ जाती है. दो किलोवाट पर 1,755 रुपये तीन किलोवाट पर 2,632 रुपये और छह किलोवॉट पर 5,265 रुपये प्रति माह तक.
सौर ऊर्जा से बदलती ज़िंदगी ललितपुर के बार गांव के रामेश्वर सिंह बताते हैं, “पहले बिजली के बिल और जनरेटर के खर्च की चिंता रहती थी. अब न केवल मुफ्त बिजली मिल रही है, बल्कि हर महीने 2,500 रुपये की कमाई भी हो रही है.” महिलाओं और युवाओं को नया अवसर सौर ऊर्जा से जहां बिजली की बचत हो रही है, वहीं गांवों में रोजगार भी पैदा हो रहा है. स्थानीय युवा सोलर टेक्नीशियन बन रहे हैं, महिलाएं जागरूकता फैला रही हैं और किसान सिंचाई के लिए सौर पंप का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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विकेटी/एएस
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