New Delhi, 7 नवंबर . ऑफिस में घंटों एक ही पोज में बैठने से पीठ और पैर का दर्द हो या अन्य शारीरिक समस्या. योग पद्धति इसके समाधान के लिए शलभासन या टिड्डी मुद्रा की सलाह देता है.
India Government के आयुष मंत्रालय के अनुसार, शलभासन या टिड्डी मुद्रा एक महत्वपूर्ण आसन है, जो रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और वजन कम करने में सहायक सिद्ध होता है. यह आसन शरीर की समग्र फिटनेस को बढ़ावा देता है, जिसके अभ्यास से कई राहत मिलती हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित अभ्यास से यह मुद्रा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधारती है, बल्कि मानसिक तनाव भी कम करने में सहायक है.
शलभासन के कई फायदे हैं. सबसे प्रमुख लाभ रीढ़ की हड्डी की मजबूती है, जो पीठ दर्द और कमजोरी को दूर करता है. यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, पाचन तंत्र को बेहतर करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देता है. वजन घटाने के लिए भी यह मुद्रा लाभकारी है, यह अतिरिक्त फैट को बर्न करने में मदद करता है. इसके अलावा, यह छाती, कंधों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और रक्त संचार सुधारता है.
टिड्डी मुद्रा महिलाओं के लिए भी बेहद लाभकारी है. यह पीरियड्स संबंधी समस्याओं को दूर करने में लाभदायक है. यह आसन पूरे शरीर को एनर्जी देता है.
एक्सपर्ट शलभासन करने की विधि भी बताते हैं. सबसे पहले, पेट के बल जमीन पर लेट जाएं. पैरों को सीधा रखें, एड़ियां और पैर की उंगलियां आपस में जुड़ी हुई हों. हाथों को शरीर के साथ रखें, हथेलियां ऊपर की ओर. अब सांस लें और सिर, छाती, हाथ और पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं, इसे करने के दौरान टिड्डी जैसी मुद्रा बन जाती है. पेट और कमर जमीन पर टिकी रहें. इस स्थिति में 10-20 सेकंड तक रुकें, सामान्य सांस लें. फिर धीरे से वापस मुद्रा में आएं.
हालांकि, कुछ लोगों को इसके अभ्यास में सावधानी बरतनी चाहिए. विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं, हर्निया, अल्सर या पेट की सर्जरी वाले व्यक्ति इसे न करें. हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, गर्दन या पीठ दर्द की गंभीर समस्या वाले लोग डॉक्टर की सलाह लें. इन्हें योग प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास करना चाहिए.
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एमटी/एएस
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