New Delhi, 21 अक्टूबर . त्योहार के दौरान Supreme court के आदेशों की खूब धज्जियां उड़ीं. कोर्ट की तरफ से दो दिन महज कुछ घंटों के लिए आतिशबाजी की परमिशन दी गई, लेकिन शाम होते ही पटाखे चलने शुरू हुए और लोगों ने देर रात तक पटाखे चलाए. यही वजह रही कि दीपावली की रात और अगली सुबह दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया और एनसीआर का एक्यूआई 400 के पार चला गया.
पर्यावरणविद विमलेंदु झा का कहना है कि Government और प्रशासन को इन दिनों प्रदूषण के स्तर को बढ़ने को इवेंट की तरह नहीं लेना चाहिए. 12 महीने इस पर काम होना चाहिए.
अभी हवा का दबाव है और इस वजह से भी प्रदूषण बढ़ जाता है. स्मॉग आसमान में एक जगह पर बना रहता है. कंस्ट्रक्शन साइट्स और सड़कों पर धूल के मामले में एनसीआर प्रशासन को गंभीरता से काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण स्तर से बच्चों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा. बाकी उम्र के लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन की समस्या होने लगी है. एक रिसर्च में सामने आया है कि बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण एनसीआर में रहने वाले लोगों की उम्र भी कम होती है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, दीपावली वाले दिन सुबह से ही एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब श्रेणी में पहुंच गया, जो कि 250 के पार था. दिन के समय कुछ कम हुआ, लेकिन फिर शाम 5 बजे के बाद देर रात 12 बजे तक एयर क्वालिटी इंडेक्स में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली. रात 12 बजे के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 600-700 के पार दर्ज हुआ है.
Tuesday सुबह की बात करें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के करीब दर्ज हुआ. इस प्रदूषण में पराली जलाने के बाद होने वाले प्रदूषण की भागीदारी 0.8 दर्ज की गई, और इसमें तीन राज्यों से आने वाला प्रदूषण है, जिसमें उत्तर प्रदेश, Haryana और पंजाब शामिल हैं.
इसी के साथ अगर ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण की बात करें तो उसकी भागीदारी 16 फीसदी है, और घरों से आने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण की भागीदारी 4 फीसदी है. ऐसे में हम कह सकते हैं कि दीपावली पर होने वाले धुएं में 70 फीसदी पटाखों की भागीदारी हो सकती है, हालांकि इसका कोई सटीक डेटा अभी उपलब्ध नहीं है. लेकिन जिस तरीके से Supreme court ने दीपावली पर ग्रीन पटाखे जलाए जाने की अनुमति दी थी, उससे पता चलता है कि ग्रीन पटाखों से भी थोड़ा प्रदूषण होता है. अन्य पटाखों के मुकाबले भले ही कम होता है, लेकिन इससे भी प्रदूषण देखने को मिलता है.
आम तौर पर हमारे लंग्स के लिए 60 से कम एयरपोर्ट इंडेक्स होना चाहिए. इससे अधिक कितना भी बढ़ता है, वो बेहद खतरनाक है, खास तौर पर बच्चे और बुजुर्गों के लिए क्योंकि उनकी रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, और आने वाले दिनों में जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, वैसे-वैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा.
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एमएस/डीकेपी
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