बहरामपुर, 20 अप्रैल . पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है.
चौधरी ने आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद में गोलीबारी और हिंसा में कई लोग घायल हुए, अस्पताल मरीजों से भरे हैं, लेकिन राज्य सरकार और पुलिस इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा, “सच्चाई को छुपाया जा रहा है, लोग जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.”
चौधरी ने आगे कहा कि दंगों की परिभाषा अलग है. यहां प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई. पुलिस को इतनी बड़ी घटना का जरा भी अंदाजा नहीं था. इससे राज्य पुलिस की कार्यप्रणाली उजागर हो गई है.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा और आरएसएस की पकड़ मजबूत हो रही है, तो इसके लिए उन्हें ममता बनर्जी को धन्यवाद देना चाहिए. चौधरी ने दावा किया कि ममता के शासन से पहले भाजपा और आरएसएस की राज्य में कोई खास ताकत नहीं थी.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणियों पर भी चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की. उन्होंने कहा, “सत्तारूढ़ पार्टी संविधान में विश्वास नहीं करती, यह उनके बयानों से साफ है. लोग अभी भी पुलिस और प्रशासन की तुलना में न्याय व्यवस्था पर ज्यादा भरोसा करते हैं. अगर केंद्र चाहता है कि न्यायपालिका उनके इशारों पर चले, तो देश का भविष्य क्या होगा?”
उन्होंने न्यायपालिका के ‘भगवाकरण’ की कोशिशों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी कोशिशें सफल नहीं होंगी. चौधरी ने भाजपा आलाकमान से अपने नेताओं पर नियंत्रण रखने की मांग की और कहा कि संविधान का मजाक उड़ाने वालों का कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी.
इसके अलावा, चौधरी ने सीपीएम की ब्रिगेड रैली पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “सीपीएम की रैली पूरी तरह सफल होनी चाहिए. बंगाल में कांग्रेस और सीपीएम के बीच कई बार विवाद और संघर्ष हुए हैं, लेकिन सीपीएम ने कभी सांप्रदायिक राजनीति नहीं की.”
आपको बता दें कि रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में सीपीएम की रैली आयोजित की गई. पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की मृत्यु के बाद यह पहली बार है जब वाम मोर्चा ने ब्रिगेड ग्राउंड में बड़ी सभा आयोजित की है. कृषक सभा, सीआईटीयू और खेत मजदूर संगठन के बैनर तले आयोजित इस बैठक का मुख्य उद्देश्य किसानों, मजदूरों और निम्न वर्ग की मांगों को उजागर करना और अगले विधानसभा चुनाव से पहले वामपंथ की ताकत का प्रदर्शन करना है.
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एकेएस/
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