फ्रांस में राजनीतिक संकट गहराता नजर आ रहा है। पहले सेबेस्टियन लेकोर्नू ने फ्रांस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया। अब राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी के लोग ही उन पर पद छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। इमैनुएल मैक्रों साल 2017 से फ्रांस के राष्ट्रपति बने हुए हैं। वहीं, लोकोर्नू के अचानक से इस्तीफा देने के बाद आंतरिक कलह देखने को मिल रहा है।
हालांकि, राष्ट्रपति मैक्रों ने लेकोर्नू को एक स्थायी गठबंधन सरकार के लिए समझौता करने के लिए बुधवार शाम तक का समय दिया है। अगर लेकोर्नू समझौते को लेकर फैसला नहीं लेते हैं, तो फ्रांसीसी राष्ट्रपति के पास संसद को भंग करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। वहीं, सदन में अधिक व्यावहारिक व्यवस्था बनाने की उम्मीद में जल्द ही चुनाव कराना होगा।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यालय ने पहले घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने सोमवार सुबह, सरकार गठन के कुछ ही घंटों बाद अपना इस्तीफा दे दिया। 27 दिनों के कार्यकाल के बाद लेकोर्नू के इस्तीफे ने उन्हें हाल के फ्रांसीसी इतिहास में सबसे कम समय तक पद पर रहने वाला प्रधानमंत्री बना दिया है। फ्रांस में लेकोर्नू समेत 5 प्रधानमंत्रियों ने दो साल में अपने पद से इस्तीफा दिया है।
विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक सहयोगी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मैक्रों ने मंगलवार शाम संसद के ऊपरी और निचले दोनों सदनों के अध्यक्षों के साथ बातचीत की। दोनों सदनों के अध्यक्षों के साथ मैक्रों ने अलग-अलग बैठक की। अगर फ्रांस में चुनाव की योजना होती है, तो राष्ट्रपति मैक्रों को दोनों अध्यक्षों से परामर्श लेनी होगी।
अब मैक्रों को लेकर उनकी ही पार्टी में नाराजगी बढ़ रही है। दक्षिणपंथी रैसम्बलमेंट नेशनल (आरएन) के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला ने तुरंत ही शीघ्र चुनावों का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "चुनावों और नेशनल असेंबली को भंग किए बिना स्थिरता नहीं आ सकती।" स्थानीय मीडिया के मुताबिक वामपंथी ला फ्रांस इनसोमिसे (एलएफआई) पार्टी के नेता जीन-ल्यूक मेलेंचन ने मैक्रों को पद से हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की मांग की है। एलएफआई की एक प्रमुख सदस्य मथिल्डे पैनोट ने लेकोर्नू के इस्तीफे के बाद मैक्रों के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, "उलटी गिनती शुरू हो गई है। मैक्रों को जाना ही होगा।"
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