जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा का स्वागत किया। साथ ही उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस दौरान जो लोग प्रभावित हुए हैं, अब हमें उन्हें राहत और मुआवजा प्रदान करना होगा। हमें घायलों का भी ख्याल रखना होगा।
उमर अब्दुल्ला ने अपने आवास पर कहा, ‘‘"मैं युद्ध विराम का स्वागत करता हूँ। अगर यह 2-3 दिन पहले हुआ होता, तो जो जानें हमने खोई हैं, वो नहीं जातीं। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ को बुलाया और युद्ध विराम लागू हुआ। यह मौजूदा जम्मू-कश्मीर सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जहाँ भी नुकसान हुआ है, उसका आकलन करे और लोगों को राहत पहुँचाना शुरू करे। जहाँ भी लोग घायल हुए हैं, उन्हें उचित इलाज मिले और सरकारी योजना के तहत राहत भी मिले।
#WATCH | On the India- Pakistan ceasefire agreement, Jammu and Kashmir CM Omar Abdullah says, "I welcome the ceasefire. If it had happened 2-3 days ago, the lives we lost would not have been lost. Pakistan's DGMO called our DGMO and the ceasefire was implemented. It is the… pic.twitter.com/uXxlTfnRzJ
— ANI (@ANI) May 10, 2025
सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि आग से बहुत नुकसान हुआ है...डीसी को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत नुकसान का अंतिम आकलन करें और उस आकलन को हमें भेजें ताकि हम इन घरों में राहत पहुँचाना शुरू कर सकें। साथ ही, हमारा एयरपोर्ट कई दिनों से बंद है, हमें उम्मीद है कि युद्ध विराम के बाद एयरपोर्ट फिर से खुल जाएगा। अब हमें यह भी उम्मीद है कि हम हज उड़ानें फिर से शुरू कर सकेंगे, क्योंकि हवाई अड्डा बंद होने के कारण हम हज यात्रियों को नहीं भेज पा रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू, पुंछ, राजौरी, तंगधार और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा पार से गोलाबारी और हमलों के कारण काफी तबाही हुई है।
Now that we have a ceasefire I hope the airports can be reopened quickly & civil flights can resume. We have a backlog of hajis who should have been in Medina by now. I hope the Union Government will move quickly to reopen airspace & enable us to resume Haj flights from Srinagar.…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 10, 2025
इस बीच, उमर अब्दुल्ला के पिता और सत्तारूढ़ दल नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वास की कमी को पाटने की प्राथमिक जिम्मेदारी इस्लामाबाद की है, जिसे सीमा पार आतंकवाद के संबंध में नयी दिल्ली की चिंताओं का समाधान करना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने की जरूरत पर बल दिया, क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले हमारे लोगों को दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़ते हालात का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस कदम से हमारे लोगों की पीड़ा काफी हद तक कम होगी, जो गोलीबारी में फंस गए हैं।’’
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी दोस्ती की वकालत की है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन विश्वास की कमी को पाटने की प्राथमिक जिम्मेदारी पाकिस्तान की है, जिसे सीमा पार आतंकवाद के बारे में भारत की वास्तविक चिंताओं को दूर करना चाहिए।’’
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