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Varuthini Ekadashi 2025 Date: वरुथिनी एकादशी 23 या 24 अप्रैल को, जानें व्रत की डेट को लेकर क्यों है कन्फ्यूजन

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Varuthini Ekadashi Tithi: एकादशी का व्रत कब है? अप्रैल में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली वरुथिनी एकादशी व्रत की तारीख को लेकर बड़ा कंफ्यूजन बना हुआ है। एकादशी तिथि 23 अप्रैल से ही लग रही है और 24 अप्रैल तक रहेगी ऐसे में एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा इसे लेकर बड़ा असमंजस बना हुआ है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। साथ ही वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। तो आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी का व्रत 23 या 24 अप्रैल कब रखा जाएगा। वरुथिनी एकादशी व्रत 23 या 24 अप्रैल 2025 कब है ?वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 23 अप्रैल को शाम में 4 बजकर 44 मिनट पर होगा और एकादशी तिथि का समापन 24 अप्रैल को दोपहर में 2 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार, उदय काल में तिथि होने पर ही व्रत करना उत्तम रहता है। इसलिए वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को किया जाएगा। वहीं, वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण 25 अप्रैल को द्वादशी तिथि में सुबह 5 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 23 मिनट के बीच में करना उत्तम होगा। वरुथिनी एकादशी व्रत पूजन सामग्री :
  • तुलसी के पत्ते
  • पीले फूल
  • धूप, दीप
  • फल, पंचामृत, भोग (खीर, फलाहार सामग्री)
  • पीला वस्त्र और चंदन
वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि:1. व्रत रखने वालों को दशमी तिथि की रात सात्विक भोजन करके एक समय ही भोजन करना चाहिए।2. ब्रह्मचर्य का पालन करें और मानसिक रूप से व्रत का संकल्प लें।3. 24 अप्रैल एकादशी तिथि के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।4. घर के पूजा स्थान को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करें।5. भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।6. इसके बाद सबसे पहले दीप जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।7. भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं (यदि मूर्ति हो) या आचमन कराएं।8. चंदन, अक्षत, फूल अर्पित करें।9. तुलसी पत्र चढ़ाएं (यह अत्यंत प्रिय है भगवान विष्णु को)।10. फिर भगवान को फलाहार, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाएं।11. विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तोत्र या गीता का पाठ करें और अंत में आरती करें। एकादशी व्रत का नियम:व्रती को दिनभर निर्जल या फलाहार रहकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।झूठ, क्रोध, तामसिक भोजन, नींद आदि से बचें।रात को भगवान विष्णु का जागरण करें या भजन-कीर्तन करें। द्वादशी पर व्रत का पारण :1) एकादशी व्रत करने के बाद अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण या जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।2) उन्हें भोजन कराकर स्वयं फलाहार करें और अपने व्रत का पारण करें।
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