Canada Immigration News: कनाडा की सरकार ने 2026-2028 के लिए इमिग्रेशन लेवल प्लान जारी किया है, जिसने भारतीय स्टूडेंट्स और वर्कर्स की सबसे ज्यादा चिंता बढ़ा दी है। इसमें ये बताया गया है कि आने वाले तीन सालों तक कितने स्टूडेंट और वर्कर देश में आ सकेंगे। उन्हें जारी किए जाने वाले स्टडी और वर्क परमिट की संख्या तय कर दी गई है। इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली है, जो उन भारतीयों के लिए चिंता का सबब है, जो कनाडा में नौकरी या पढ़ाई करने का अरमान सजाए हुए हैं।
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हैरानी वाली बात ये है कि कनाडा के इस प्लान में परमानेंट रेजिडेंसी का सपना देख रहे लोगों के लिए गुड न्यूज है। जहां हर साल 3.80 लाख लोगों को PR देने की योजना है। मगर टेंपरेरी रेजिडेंट की संख्या घटाई जा रही है, जिसमें विदेशी स्टूडेंट्स और वर्कर्स आते हैं। इस प्लान का मकसद अराइवल और डिपार्चर के बीच संतुलन स्थापित करना है है। साथ ही 2027 के अंत तक टेंपरेरी रेजिडेंट की संख्या देश की कुल आबादी के 5% से कम पर स्थिर रखना भी है। ये प्लान विदेशियों के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है।
कितने स्टूडेंट-वर्कर कनाडा में आएंगे?
नए प्लान के तहत देश में आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या आधी कर दी जाएगी। 2026 में सिर्फ 1.55 लाख विदेशी छात्रों को ही एंट्री मिलेगी। इसके बाद 2027 और 2028 में सिर्फ 1.50 लाख स्टूडेंट्स ही कनाडा में पढ़ने के लिए स्टडी परमिट पा सकेंगे। पहले 2026 में 3.05 लाख छात्रों को स्टडी परमिट देने का प्लान बनाया गया था। इसी तरह से 2026 के लिए टेंपरेरी फॉरेन वर्कर परमिट भी 2.30 लाख पर तय कर दिया गया है। इसके बाद अगले दो साल सिर्फ 2.20 लाख वर्कर्स को वर्क परमिट दिया जाएगा।
भारतीय स्टूडेंट-वर्कर पर क्या होगा असर?
कनाडा में लाखों की संख्या में भारतीय वर्कर काम कर रहे हैं, जबकि छात्रों की संख्या 4 लाख के आसपास है। जॉब और पढ़ाई के लिए कनाडा भारतीयों के बीच लंबे वक्त से पॉपुलर देश रहा है। मगर सरकार के फैसले के बाद उनके लिए स्टडी परमिट और वर्क परमिट पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। कनाडा धोखाधड़ी की बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए वीजा रद्द करने के लिए नए अधिकार प्रस्तावित कर रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर भारत और बांग्लादेश से किए जाने वाले आवेदनों पर पड़ेगा।
ये उपाय विधेयक सी-12 का हिस्सा है, जिसके जरिए अधिकारियों को असाधारण मामलों में वीजा रद्द करने का अधिकार मिल जाएगा। इसमें कुछ खास देशों के वीजा होल्डर्स भी शामिल होंगे, जिनका वीजा रद्द हो सकता है। इसका भी असर भारतीयों पर पड़ने वाला है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय छात्रों के आवेदनों को रिजेक्ट किए जाने में इजाफा देखने को मिला है। जहां अगस्त 2025 में ही 74% आवेदन रिजेक्ट किए गए हैं, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में दो गुना से ज्यादा हैं।
सरकार का कहना है कि उसने हजारों फर्जी एडमिशन ऑफर लेटर्स का पता लगया है। इस वजह से अब स्टडी परमिट का दुरुपयोग रोकने के लिए ज्यादा सेविंग दिखाने और डॉक्यूमेंट्स की जरूरतों को बढ़ा दिया है। कड़े हो रहे नियमों का असर पहले ही भारतीय छात्रों पर दिखने लगा है। वाटरलू यूनिवर्सिटी, रेजिना यूनिवर्सिटी और सस्केचेवान यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में एडमिशन कम हुए हैं। वर्क परमिट के लिए भी प्रोसेसिंग टाइम बढ़ चुका है। कुल मिलाकर स्टडी और वर्क परमिट पाना मुश्किल होने वाला है।
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हैरानी वाली बात ये है कि कनाडा के इस प्लान में परमानेंट रेजिडेंसी का सपना देख रहे लोगों के लिए गुड न्यूज है। जहां हर साल 3.80 लाख लोगों को PR देने की योजना है। मगर टेंपरेरी रेजिडेंट की संख्या घटाई जा रही है, जिसमें विदेशी स्टूडेंट्स और वर्कर्स आते हैं। इस प्लान का मकसद अराइवल और डिपार्चर के बीच संतुलन स्थापित करना है है। साथ ही 2027 के अंत तक टेंपरेरी रेजिडेंट की संख्या देश की कुल आबादी के 5% से कम पर स्थिर रखना भी है। ये प्लान विदेशियों के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है।
कितने स्टूडेंट-वर्कर कनाडा में आएंगे?
नए प्लान के तहत देश में आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या आधी कर दी जाएगी। 2026 में सिर्फ 1.55 लाख विदेशी छात्रों को ही एंट्री मिलेगी। इसके बाद 2027 और 2028 में सिर्फ 1.50 लाख स्टूडेंट्स ही कनाडा में पढ़ने के लिए स्टडी परमिट पा सकेंगे। पहले 2026 में 3.05 लाख छात्रों को स्टडी परमिट देने का प्लान बनाया गया था। इसी तरह से 2026 के लिए टेंपरेरी फॉरेन वर्कर परमिट भी 2.30 लाख पर तय कर दिया गया है। इसके बाद अगले दो साल सिर्फ 2.20 लाख वर्कर्स को वर्क परमिट दिया जाएगा।
भारतीय स्टूडेंट-वर्कर पर क्या होगा असर?
कनाडा में लाखों की संख्या में भारतीय वर्कर काम कर रहे हैं, जबकि छात्रों की संख्या 4 लाख के आसपास है। जॉब और पढ़ाई के लिए कनाडा भारतीयों के बीच लंबे वक्त से पॉपुलर देश रहा है। मगर सरकार के फैसले के बाद उनके लिए स्टडी परमिट और वर्क परमिट पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। कनाडा धोखाधड़ी की बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए वीजा रद्द करने के लिए नए अधिकार प्रस्तावित कर रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर भारत और बांग्लादेश से किए जाने वाले आवेदनों पर पड़ेगा।
ये उपाय विधेयक सी-12 का हिस्सा है, जिसके जरिए अधिकारियों को असाधारण मामलों में वीजा रद्द करने का अधिकार मिल जाएगा। इसमें कुछ खास देशों के वीजा होल्डर्स भी शामिल होंगे, जिनका वीजा रद्द हो सकता है। इसका भी असर भारतीयों पर पड़ने वाला है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय छात्रों के आवेदनों को रिजेक्ट किए जाने में इजाफा देखने को मिला है। जहां अगस्त 2025 में ही 74% आवेदन रिजेक्ट किए गए हैं, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में दो गुना से ज्यादा हैं।
सरकार का कहना है कि उसने हजारों फर्जी एडमिशन ऑफर लेटर्स का पता लगया है। इस वजह से अब स्टडी परमिट का दुरुपयोग रोकने के लिए ज्यादा सेविंग दिखाने और डॉक्यूमेंट्स की जरूरतों को बढ़ा दिया है। कड़े हो रहे नियमों का असर पहले ही भारतीय छात्रों पर दिखने लगा है। वाटरलू यूनिवर्सिटी, रेजिना यूनिवर्सिटी और सस्केचेवान यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में एडमिशन कम हुए हैं। वर्क परमिट के लिए भी प्रोसेसिंग टाइम बढ़ चुका है। कुल मिलाकर स्टडी और वर्क परमिट पाना मुश्किल होने वाला है।
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