Mohini Ekadashi Vrat Katha Mahatmya : वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो आज 8 मई के दिन है। ऐसे में आज भगवान विष्णुजी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने, कथा पढ़ने और व्रत रखने से जातक को जीवन के दुखों से निजात मिल सकती है। साथ ही, इससे विष्णुजी की कृपा भी प्राप्त होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने और इस दिन व्रत कथा माहात्म्य का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही, इससे व्यक्ति के सारे पापों का नाश हो सकता है और जीवन में खुशहाली आने लगती है। ऐसी मान्यता है कि कूर्म पुराण में वर्णित इस माहात्म्य को सुनने से हजारों गौ दान का फल प्राप्त होता है। ऐसे में विस्तार से पढ़ें यहां मोहिनी एकादशी व्रत कथा माहात्म्य। कृष्ण भगवान बोले, हे धर्मराज ! वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम मोहिनी है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने गुरु वशिष्ठ जी से इसका माहात्म्य पूछा था। वशिष्ठ जी ने कहा, सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम की नगरी में धृतमान नाम का राजा राज्य करता था। उसके राज्य में एक धनपाल वैश्य रहता था, वह बड़ा धर्मात्मा और विष्णु जी का भक्त था। उसके पांच पुत्र थे, बड़ा पुत्र महापापी था। जुआ खेलना, मद्यपान करना, परस्त्री गमन, वेश्याओं का संग इत्यादि नीच कर्म करने वाला था। उसके पिता ने कुछ धन आभूषण देकर उसे घर से निकाल दिया। आभूषणों को बेचकर कुछ दिन उसने अच्छे काट दिए, अन्त में धनहीन हो गया और चोरी करने चला, तब पुलिस ने पकड़ कर बन्दीगृह में डाल दिया। दण्ड की अवधि व्यतीत हुई तो नगरी से निकाला गया, तब वह वन में पशु-पक्षियों को मारता-खाता था। एक दिन उसके हाथ शिकार न लगा, भूखा-प्यासा मुनि के आश्रम पर आया। हाथ जोड़कर बोला, मैं आपकी शरण हूं, मैं प्रसिद्ध पातकी हूं, कोई उपाय बताकर मेरा उद्धार करो ! आप पतित पावन हो। मुनि बोले-वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करो, अनंत जन्मों के पाप भस्म हो जाएंगे। मुनि की शिक्षा से वैश्य कुमार ने मोहिनी एकादशी का व्रत किया और पाप रहित होकर विष्णु लोक को चला गया। इसका माहात्म्य सुनने से हजारों गौ दान का फल मिलता है।
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