नई दिल्ली: अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे में एकमात्र जिंदा बचे विश्वास कुमार रमेश की आपबीती दिल दहला देने वाली है। वह भी इस भयावह दुर्घटना में जिंदा बच जाने के लिए औरों की तरह ही खुद को 'दुनिया के सबसे भाग्यशाली इंसान'तो मानते हैं, लेकिन उस हादसे के बाद वे जिस भयानक शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं, वह कम भयानक नहीं है। वे बुरी तरह से बीमार हैं, लेकिन इलाज नहीं हो पा रहा। मछली पकड़ने का पारिवारिक बिजनेस चौपट हो चुका है। पूरे परिवार ने घटना के बाद से सुध बुध खो दिया है।
एकांत में रहते हैं विश्वास कुमार रमेश
12 जून, 2025 को अहमदाबाद एयर पोर्ट से उड़ान भरते ही एयर इंडिया का विमान एआई-171 पास के ही एक मेडिकल कॉलेज होस्टल परिसर में गिर गया। हादसे के कुछ ही मिनट बाद मलबे से जिंदा बच निकले विश्वास कुमार रमेश को लोगों ने टहलते देखा और उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं। अब उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि वे अकेले रह रहे हैं और अपनी पत्नी और बेटे तक से भी बात नहीं कर रहे।
भाई की मौत से नहीं उबर पा रहे रमेश
रमेश ब्रिटिश नागरिक हैं, जिन्होंने हादसे में अपने छोटे भाई अजय को खो दिया, जो दूसरी सीट पर बैठे थे। उनका यह दुख कम नहीं हो रहा। उन्होंने कहा, 'जिंदा बचने वाला मैं अकेला हूं। फिर भी मुझे विश्वास नहीं होता। यह एक चमत्कार है।' छोटे भाई की मौत ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया है। नम आंखों से वे कहते हैं, 'मैंने अपने भाई को भी खो दिया। मेरा भाई मेरी रीढ़ है। पिछले कुछ सालों में उसने हमेशा मेरी मदद की।'
पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिजॉर्डर से पीड़ित हैं
हादसे के बाद की अपनी आपबीती बयां करते हुए रमेश कहते हैं, 'अब मैं अकेला हूं। मैं अपने रूम में अकेला बैठा रहता हूं, अपनी पत्नी और अपने बेटे से बात नहीं करता। मुझे अपने घर में सिर्फ अकेले रहना पसंद है।' रमेश पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिजॉर्डर से पीड़ित हैं, लेकिन अपने घर लीसेस्टर लौटने के बाद से उनका कोई इलाज नहीं हो रहा। भारत में वे हॉस्पिटल में थे।
'मेरी मां दरवाजे के बाहर बैठी रहती है'
उनका कहना है कि परिवार अभी भी उस हादसे से उबर नहीं पाया है कि उनका छोटा भाई अब दुनिया में नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए, इस हादसे के बाद...मेरे और मेरे परिवार के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर यह बहुत ही मुश्किल था। पिछले चार महीनों से मेरी मां दरवाजे के बाहर बैठी रहती है, कुछ नहीं बोलती, कुछ नहीं करती। मैं भी किसी से बात नहीं कर रहा। मैं किसी से भी बात नहीं करना चाहता। मैं बहुत ज्यादा बात नहीं कर सकता। मैं पूरी रात सोचता रहता हूं। मैं मानसिक पीड़ा में हूं। पूरे परिवार के लिए हर दिन दुखों से भरा है।'
आज भी शारीरिक दर्द से नहीं उबरे हैं
दुर्घटना में उन्हें जो चोट लगी, उसकी वजह से उनके पैरों,कंधों,घुटनों और पीठ में दर्द रहता है, जिसकी वजह से न वह काम कर सकते और न ही ड्राइव कर सकते हैं। वे कहते हैं, 'जब मैं टहलता हूं या ठीक से नहीं टहल पाता, धीरे-धीरे, मेरी पत्नी मदद करती है।'अहमदाबाद विमान हादसे में क्रू मेंबर समेत उसमें सवार 241 लोगों की मौत हो गई थी और जमीन पर मौजूद 19 लोग भी इसकी चपेट में गए थे।
चौतरफा मुश्किलों में घिरे हैं रमेश रमेश की सहायता कर रहे कम्युनिटी लीडर संजीव पटेल और स्पोक्सपर्सन रैड सीगर ने मदद की कमी पर चिंता जताई है। पटेल का कहना है, 'वे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से मुश्किल में हैं। उनका परिवार इसके चलते तबाह हो गया है। जो भी सबसे ऊंचे लेवल पर जिम्मेदार हैं, उन्हें दुखद घटना के पीड़ितों से मिलकर उनकी जरूरतें देखनी चाहिए। परिवार को जानने वालों अनुसार, दीव में मछली पकड़ने का पारिवारिक बिजनेस क्रैश के बाद से बंद हो गया है। वहीं, सीगर ने एयर इंडिया पर गुस्सा निकालते हुए आरोप लगाया कि मीटिंग की रिक्वेस्ट को 'नजरअंदाज किया गया या ठुकरा दिया गया।'
एकांत में रहते हैं विश्वास कुमार रमेश
12 जून, 2025 को अहमदाबाद एयर पोर्ट से उड़ान भरते ही एयर इंडिया का विमान एआई-171 पास के ही एक मेडिकल कॉलेज होस्टल परिसर में गिर गया। हादसे के कुछ ही मिनट बाद मलबे से जिंदा बच निकले विश्वास कुमार रमेश को लोगों ने टहलते देखा और उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं। अब उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि वे अकेले रह रहे हैं और अपनी पत्नी और बेटे तक से भी बात नहीं कर रहे।
भाई की मौत से नहीं उबर पा रहे रमेश
रमेश ब्रिटिश नागरिक हैं, जिन्होंने हादसे में अपने छोटे भाई अजय को खो दिया, जो दूसरी सीट पर बैठे थे। उनका यह दुख कम नहीं हो रहा। उन्होंने कहा, 'जिंदा बचने वाला मैं अकेला हूं। फिर भी मुझे विश्वास नहीं होता। यह एक चमत्कार है।' छोटे भाई की मौत ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया है। नम आंखों से वे कहते हैं, 'मैंने अपने भाई को भी खो दिया। मेरा भाई मेरी रीढ़ है। पिछले कुछ सालों में उसने हमेशा मेरी मदद की।'
पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिजॉर्डर से पीड़ित हैं
हादसे के बाद की अपनी आपबीती बयां करते हुए रमेश कहते हैं, 'अब मैं अकेला हूं। मैं अपने रूम में अकेला बैठा रहता हूं, अपनी पत्नी और अपने बेटे से बात नहीं करता। मुझे अपने घर में सिर्फ अकेले रहना पसंद है।' रमेश पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिजॉर्डर से पीड़ित हैं, लेकिन अपने घर लीसेस्टर लौटने के बाद से उनका कोई इलाज नहीं हो रहा। भारत में वे हॉस्पिटल में थे।
'मेरी मां दरवाजे के बाहर बैठी रहती है'
उनका कहना है कि परिवार अभी भी उस हादसे से उबर नहीं पाया है कि उनका छोटा भाई अब दुनिया में नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए, इस हादसे के बाद...मेरे और मेरे परिवार के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर यह बहुत ही मुश्किल था। पिछले चार महीनों से मेरी मां दरवाजे के बाहर बैठी रहती है, कुछ नहीं बोलती, कुछ नहीं करती। मैं भी किसी से बात नहीं कर रहा। मैं किसी से भी बात नहीं करना चाहता। मैं बहुत ज्यादा बात नहीं कर सकता। मैं पूरी रात सोचता रहता हूं। मैं मानसिक पीड़ा में हूं। पूरे परिवार के लिए हर दिन दुखों से भरा है।'
आज भी शारीरिक दर्द से नहीं उबरे हैं
दुर्घटना में उन्हें जो चोट लगी, उसकी वजह से उनके पैरों,कंधों,घुटनों और पीठ में दर्द रहता है, जिसकी वजह से न वह काम कर सकते और न ही ड्राइव कर सकते हैं। वे कहते हैं, 'जब मैं टहलता हूं या ठीक से नहीं टहल पाता, धीरे-धीरे, मेरी पत्नी मदद करती है।'अहमदाबाद विमान हादसे में क्रू मेंबर समेत उसमें सवार 241 लोगों की मौत हो गई थी और जमीन पर मौजूद 19 लोग भी इसकी चपेट में गए थे।
चौतरफा मुश्किलों में घिरे हैं रमेश रमेश की सहायता कर रहे कम्युनिटी लीडर संजीव पटेल और स्पोक्सपर्सन रैड सीगर ने मदद की कमी पर चिंता जताई है। पटेल का कहना है, 'वे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से मुश्किल में हैं। उनका परिवार इसके चलते तबाह हो गया है। जो भी सबसे ऊंचे लेवल पर जिम्मेदार हैं, उन्हें दुखद घटना के पीड़ितों से मिलकर उनकी जरूरतें देखनी चाहिए। परिवार को जानने वालों अनुसार, दीव में मछली पकड़ने का पारिवारिक बिजनेस क्रैश के बाद से बंद हो गया है। वहीं, सीगर ने एयर इंडिया पर गुस्सा निकालते हुए आरोप लगाया कि मीटिंग की रिक्वेस्ट को 'नजरअंदाज किया गया या ठुकरा दिया गया।'
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