प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पारिवारिक न्यायालय में शुक्रवार को भावुक दृश्य देखने को मिला। काफी समय से बिखरा परिवार एकजुट हुआ। इस दृश्य ने कोर्ट में मौजूद लोगों की आंखें नम कर दी। कोर्ट में अमूमन परिवारों को टूटते, अलग होते देखा जाता है, लेकिन इस बार कोर्ट में परिवार एकजुट हुआ। दरअसल, भरण-पोषण के एक मामले में वर्षों से अलग रह रहे पति-पत्नी ने एक दूसरे को माफ कर दिया। पति ने अपनी पत्नी और विकलांग पुत्री को गले लगाया। इसके बाद कहा अब कभी अकेले नहीं रहोगी, घर चलो सब कुछ फिर से शुरू करते हैं। पत्नी और बेटी ने भी सहमति में सिर हिलाया। इसके बाद सारे शिकवे आंसुओं में धुल गए। अलग-अलग रास्तों से आए पति-पत्नी एक राह पर चले गए।
क्या है पूरा मामला?प्रयागराज का यह दिल को छू लेने वाला मामला संगीता देवी का है। उन्होंने अपने पति शिव कुमार के खिलाफ भरण-पोषण की अर्जी दायर की थी। संगीता की शादी 2 मई 2014 को शिवकुमार से हुआ था। कुछ समय बाद पति-पत्नी के बीच मतभेद हो गया। पति-पत्नी के बीच झगड़ा लगातार बढ़ने लगा।
दोनों पक्ष लगातार आपस में उलझते रहे, लेकिन 4 दिसंबर 2021 को विवाद इतना गहरा हो गया कि संगीता को विकलांग पुत्री के साथ घर से निकाल दिया गया। इसके बाद हंडिया थाने में पीड़िता ने दहेज कानून के तहत केस दर्ज करा दिया।
भरण-पोषण राशि की मांगसंगीता देवी ने प्रयागराज कोर्ट में अपने और 6 वर्षीय दिव्यांग पुत्री के भरण-पोषण के लिए 15,000 रुपये प्रति माह की मांग की थी। कई तारीखों की सुनवाई के बाद पिछले 17 अक्टूबर को पारिवारिक न्यायालय के 16 समझौता केंद्र में दोनों पक्ष आमने-सामने बैठे। दोनों पक्षों ने अपने गिले-शिकवे दूर किए। इसके बाद बिखरा परिवार एक हो गया।
क्या है पूरा मामला?प्रयागराज का यह दिल को छू लेने वाला मामला संगीता देवी का है। उन्होंने अपने पति शिव कुमार के खिलाफ भरण-पोषण की अर्जी दायर की थी। संगीता की शादी 2 मई 2014 को शिवकुमार से हुआ था। कुछ समय बाद पति-पत्नी के बीच मतभेद हो गया। पति-पत्नी के बीच झगड़ा लगातार बढ़ने लगा।
दोनों पक्ष लगातार आपस में उलझते रहे, लेकिन 4 दिसंबर 2021 को विवाद इतना गहरा हो गया कि संगीता को विकलांग पुत्री के साथ घर से निकाल दिया गया। इसके बाद हंडिया थाने में पीड़िता ने दहेज कानून के तहत केस दर्ज करा दिया।
भरण-पोषण राशि की मांगसंगीता देवी ने प्रयागराज कोर्ट में अपने और 6 वर्षीय दिव्यांग पुत्री के भरण-पोषण के लिए 15,000 रुपये प्रति माह की मांग की थी। कई तारीखों की सुनवाई के बाद पिछले 17 अक्टूबर को पारिवारिक न्यायालय के 16 समझौता केंद्र में दोनों पक्ष आमने-सामने बैठे। दोनों पक्षों ने अपने गिले-शिकवे दूर किए। इसके बाद बिखरा परिवार एक हो गया।
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