नई दिल्ली: भारत ने अफगानिस्तान के काबुल में स्थित अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास में अपग्रेड कर दिया है। सरकार ने यह फैसला तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता दिए बिना, उसके साथ द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के व्यापक प्रयासों के तहत लिया गया है। नई दिल्ली ने यह कदम तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद उठाया है।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, अफगान विदेश मंत्री की हाल की भारत यात्रा के दौरान की गई घोषणा के अनुरूप, सरकार काबुल में भारत के तकनीकी मिशन की स्थिति को तत्काल प्रभाव से अफगानिस्तान में भारत के दूतावास के रूप में बहाल कर रही है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि काबुल स्थित भारतीय दूतावास अफगानिस्तान के व्यापक विकास, मानवीय सहायता और दक्षता विकास पहल में भारत के योगदान को और बढ़ाएगा।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने बंद कर दिया था दूतावास
अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद भारत ने काबुल स्थित अपने दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। जून 2022 में, भारत ने एक 'तकनीकी टीम' तैनात करके अफगानिस्तान की राजधानी में अपनी राजनयिक उपस्थिति फिर से स्थापित की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, काबुल में दूतावास का नेतृत्व करने वाले राजनयिक के पास चार्ज डी'अफेयर्स का दर्जा होगा। तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता न देने की नीति के तहत किसी राजदूत की नियुक्ति की उम्मीद नहीं है।
तालिबान का वादा- अफगान क्षेत्रा का भारत के खिलाफ नहीं होगा इस्तेमाल
मुत्तकी इस महीने छह दिन के लिए भारत आए थे, जिससे अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों में एक नए दृष्टिकोण का संकेत मिला। हालांकि, भारत ने अब तक तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है। तालिबान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अफगानिस्तान किसी भी तत्व को भारत के हितों के खिलाफ अपने क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा।
मुत्ताकी ने पत्रकारों से कहा था कि अफगानिस्तान नई दिल्ली में दूतावास में राजनयिक भेजेगा ताकि संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके। मुत्ताकी की यह यात्रा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई थी।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, अफगान विदेश मंत्री की हाल की भारत यात्रा के दौरान की गई घोषणा के अनुरूप, सरकार काबुल में भारत के तकनीकी मिशन की स्थिति को तत्काल प्रभाव से अफगानिस्तान में भारत के दूतावास के रूप में बहाल कर रही है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि काबुल स्थित भारतीय दूतावास अफगानिस्तान के व्यापक विकास, मानवीय सहायता और दक्षता विकास पहल में भारत के योगदान को और बढ़ाएगा।
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अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद भारत ने काबुल स्थित अपने दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। जून 2022 में, भारत ने एक 'तकनीकी टीम' तैनात करके अफगानिस्तान की राजधानी में अपनी राजनयिक उपस्थिति फिर से स्थापित की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, काबुल में दूतावास का नेतृत्व करने वाले राजनयिक के पास चार्ज डी'अफेयर्स का दर्जा होगा। तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता न देने की नीति के तहत किसी राजदूत की नियुक्ति की उम्मीद नहीं है।
तालिबान का वादा- अफगान क्षेत्रा का भारत के खिलाफ नहीं होगा इस्तेमाल
मुत्तकी इस महीने छह दिन के लिए भारत आए थे, जिससे अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों में एक नए दृष्टिकोण का संकेत मिला। हालांकि, भारत ने अब तक तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है। तालिबान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अफगानिस्तान किसी भी तत्व को भारत के हितों के खिलाफ अपने क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा।
मुत्ताकी ने पत्रकारों से कहा था कि अफगानिस्तान नई दिल्ली में दूतावास में राजनयिक भेजेगा ताकि संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके। मुत्ताकी की यह यात्रा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई थी।
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