नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में टैरिफ विरोधियों से खुलकर गाली-गलौज पर उतर आए हैं। ऐसा करने वालों को उन्होंने 'मूर्ख' बता दिया है। ट्रंप ने टैरिफ लगाकर जुटाई जाने वाली रकम को लेकर एक बड़े प्लान का भी खुलासा किया है। अपने समर्थकों से उन्होंने कहा है कि वह लगभग सभी अमेरिकियों को 2,000 डॉलर (लगभग 1.8 लाख रुपये) का पेमेंट करेंगे। इसे उन्होंने 'टैरिफ डिविडेंड' कहा है। ट्रंप ने यह बात अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कही। उन्होंने कहा कि अमेरिका उनके नेतृत्व में दुनिया का सबसे अमीर और सबसे सम्मानित देश है। उन्होंने स्टॉक मार्केट में रिकॉर्ड उछाल, 4,01,000 खातों में अच्छी रकम और चारों ओर खुलती फैक्ट्रियों का जिक्र किया। हालांकि, ट्रंप की योजना से साफ है कि इसकी मार भारत, चीन समेत दुनिया के उन तमाम देशों को झेलनी होगी जो ऊंचे टैरिफ का शिकार बनेंगे।
ट्रंप ने लिखा, 'हर किसी को कम से कम 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति का डिविडेंड मिलेगा (ऊंची आय वाले लोगों को छोड़कर!)।' उन्होंने यह नहीं बताया कि यह पैसा कब और कैसे दिया जाएगा। सुझाव दिया कि यह पैसा अमेरिकी टैरिफ से होने वाली कमाई से आएगा। उनका दावा है कि टैरिफ से 'खरबों डॉलर' आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस पैसे से राष्ट्रीय कर्ज को चुकाना शुरू किया जा सकता है। यह अब 37 ट्रिलियन डॉलर है।
टैरिफ को बताया अर्थव्यवस्था की मजबूती का जरिया ट्रंप ने टैरिफ को अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का मुख्य जरिया बताया। उन्होंने अपने आलोचकों पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा, 'जो लोग टैरिफ के खिलाफ हैं, वे मूर्ख हैं!' उनका तर्क था कि टैरिफ से निवेश बढ़ा है और नौकरियां पैदा हुई हैं।
यह वादा ऐसे समय में आया है जब ट्रंप के टैरिफ कार्यक्रम पर कानूनी सवाल उठ रहे हैं। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मामले की सुनवाई की जिसमें ट्रंप की ओर से आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करके लगाए गए व्यापक टैरिफ को चुनौती दी गई है। तीन निचली अदालतों ने पहले ही इन टैरिफ को अवैध करार दिया है।
एक अन्य पोस्ट में ट्रंप ने अदालतों के फैसलों पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'तो, क्या हम यह समझ लें??? राष्ट्रपति को किसी भी विदेशी देश के साथ सभी व्यापार रोकने की अनुमति है... लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक साधारण टैरिफ लगाने की अनुमति नहीं है? हमारे महान संस्थापकों ने ऐसा नहीं सोचा था!'
कोर्ट के आदेश पर टिका है टैरिफ का भविष्य
सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ महीनों में आने की उम्मीद है। यह फैसला ट्रंप के टैरिफ लगाने के अधिकार के भविष्य को तय करेगा। साथ ही, यह इस बात पर भी असर डालेगा कि क्या '2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति' भुगतान के लिए पैसा मिल पाएगा।
ट्रंप का मानना है कि टैरिफ अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाते हैं। इससे घरेलू कंपनियों को फायदा होता है और वे अधिक लोगों को रोजगार दे पाती हैं। उनका कहना है कि टैरिफ से सरकार को भी अतिरिक्त राजस्व मिलता है। इसका उपयोग देश के विकास और नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि टैरिफ से उपभोक्ताओं को नुकसान होता है क्योंकि आयातित सामान महंगा हो जाता है। इससे महंगाई बढ़ सकती है और अमेरिकी कंपनियों के लिए भी लागत बढ़ सकती है। वे यह भी तर्क देते हैं कि टैरिफ अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जवाबी कार्रवाई को बढ़ावा दे सकते हैं।
भारत पर क्यों होगा साइड इफेक्ट?डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी नागरिकों को 2,000 डॉलर का 'टैरिफ डिविडेंड' देने का वादा भारत के लिए सीधा 'साइड इफेक्ट' लेकर आया है। इसका मुख्य कारण रूस से तेल खरीद और भारत के खिलाफ ऊंची व्यापारिक बाधाएं हैं। अमेरिका की ओर से भारत के निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगाने से भारतीय निर्यात में 37.5% तक की तेज गिरावट दर्ज की गई है। इस भारी शुल्क का सबसे बड़ा खामियाजा श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल (कपड़ा), रत्न और आभूषण (जेम्स एंड जूलरी), चमड़ा और झींगा को उठाना पड़ रहा है। इससे ये उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे और गैर-प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। नतीजतन, देश में निर्यात ऑर्डर रद्द होने, लाखों नौकरियों के खतरे में पड़ने और व्यापार घाटा 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का जोखिम पैदा हो गया है, जो संभावित रूप से भारत की जीडीपी ग्रोथ को 0.5% से 0.6% तक कम कर सकता है।
ट्रंप ने लिखा, 'हर किसी को कम से कम 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति का डिविडेंड मिलेगा (ऊंची आय वाले लोगों को छोड़कर!)।' उन्होंने यह नहीं बताया कि यह पैसा कब और कैसे दिया जाएगा। सुझाव दिया कि यह पैसा अमेरिकी टैरिफ से होने वाली कमाई से आएगा। उनका दावा है कि टैरिफ से 'खरबों डॉलर' आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस पैसे से राष्ट्रीय कर्ज को चुकाना शुरू किया जा सकता है। यह अब 37 ट्रिलियन डॉलर है।
टैरिफ को बताया अर्थव्यवस्था की मजबूती का जरिया ट्रंप ने टैरिफ को अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का मुख्य जरिया बताया। उन्होंने अपने आलोचकों पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा, 'जो लोग टैरिफ के खिलाफ हैं, वे मूर्ख हैं!' उनका तर्क था कि टैरिफ से निवेश बढ़ा है और नौकरियां पैदा हुई हैं।
यह वादा ऐसे समय में आया है जब ट्रंप के टैरिफ कार्यक्रम पर कानूनी सवाल उठ रहे हैं। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मामले की सुनवाई की जिसमें ट्रंप की ओर से आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करके लगाए गए व्यापक टैरिफ को चुनौती दी गई है। तीन निचली अदालतों ने पहले ही इन टैरिफ को अवैध करार दिया है।
एक अन्य पोस्ट में ट्रंप ने अदालतों के फैसलों पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'तो, क्या हम यह समझ लें??? राष्ट्रपति को किसी भी विदेशी देश के साथ सभी व्यापार रोकने की अनुमति है... लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक साधारण टैरिफ लगाने की अनुमति नहीं है? हमारे महान संस्थापकों ने ऐसा नहीं सोचा था!'
कोर्ट के आदेश पर टिका है टैरिफ का भविष्य
सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ महीनों में आने की उम्मीद है। यह फैसला ट्रंप के टैरिफ लगाने के अधिकार के भविष्य को तय करेगा। साथ ही, यह इस बात पर भी असर डालेगा कि क्या '2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति' भुगतान के लिए पैसा मिल पाएगा।
ट्रंप का मानना है कि टैरिफ अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाते हैं। इससे घरेलू कंपनियों को फायदा होता है और वे अधिक लोगों को रोजगार दे पाती हैं। उनका कहना है कि टैरिफ से सरकार को भी अतिरिक्त राजस्व मिलता है। इसका उपयोग देश के विकास और नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि टैरिफ से उपभोक्ताओं को नुकसान होता है क्योंकि आयातित सामान महंगा हो जाता है। इससे महंगाई बढ़ सकती है और अमेरिकी कंपनियों के लिए भी लागत बढ़ सकती है। वे यह भी तर्क देते हैं कि टैरिफ अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जवाबी कार्रवाई को बढ़ावा दे सकते हैं।
भारत पर क्यों होगा साइड इफेक्ट?डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी नागरिकों को 2,000 डॉलर का 'टैरिफ डिविडेंड' देने का वादा भारत के लिए सीधा 'साइड इफेक्ट' लेकर आया है। इसका मुख्य कारण रूस से तेल खरीद और भारत के खिलाफ ऊंची व्यापारिक बाधाएं हैं। अमेरिका की ओर से भारत के निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगाने से भारतीय निर्यात में 37.5% तक की तेज गिरावट दर्ज की गई है। इस भारी शुल्क का सबसे बड़ा खामियाजा श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल (कपड़ा), रत्न और आभूषण (जेम्स एंड जूलरी), चमड़ा और झींगा को उठाना पड़ रहा है। इससे ये उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे और गैर-प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। नतीजतन, देश में निर्यात ऑर्डर रद्द होने, लाखों नौकरियों के खतरे में पड़ने और व्यापार घाटा 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का जोखिम पैदा हो गया है, जो संभावित रूप से भारत की जीडीपी ग्रोथ को 0.5% से 0.6% तक कम कर सकता है।
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