अशोकनगर: केंद्रीय मंत्री और क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चंदेरी में स्वदेशी अभियान के तहत बुनकरों से मुलाकात की। उन्होंने चंदेरी के 6 हजार बुनकरों की आबादी को 'खरा सोना' बताते हुए उनके हुनर को अनमोल बताया और कहा कि आने वाले समय में उनके हाथों से बनी चंदेरी साड़ियों का मेहनताना दोगुना हो जाएगा। इस दौरान सिंधिया ने ढाई तोला सोने के धागे से बनी साड़ी देखी और खुद चरखा भी चलाया।
अपने लोकसभा क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चंदेरी हैंडलूम का दौरा किया। वहां उन्होंने बुनकरों से मुलाकात की, उनका हालचाल जाना और उनके द्वारा हाथ से बनाई जाने वाली आकर्षक चंदेरी साड़ियों की तारीफ की। सिंधिया ने बुनकरों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, "मैं लिखकर देता हूं...आने वाले समय में 6 हजार की आबादी सोना और चांदी के समान होंगी। मेन प्रोडक्शन में मत जाओ...आपका नाम आपकी पहचान है क्योंकि आपके हाथ में जो हुनर है वह दुनिया में किसी के पास नहीं। उसे सीमित ही रखो। हाथ से बनाने का काम आज दुनिया में कहीं नहीं होता। उसके लिए आज जिस साड़ी का 5 हजार प्रति साड़ी दिन में मिलता है, लिखकर ले लो मैं लिखकर दूंगा कि आपको आगामी 10 साल के अंदर हाथ से बने हुए इस साड़ी का 10 से 15 हजार रुपए प्रति साड़ी मिलेगी। आप देख लेना मेरे शब्द लिख लो।"
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हैंडलूम में ढाई तोले सोने के धागे से बनी साड़ी का पैटर्न देखा। उन्होंने कारीगरों से इस बारे में चर्चा की और बताया कि उनके परिवार में भी राजशाही पोशाकों में सोने के वर्क वाले दुपट्टे बनते थे। जब कारीगरों ने सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे के लिए खास तौर पर तैयार की गई 'मेहंदी लगे हाथ' ट्रेडिशनल पैटर्न वाली साड़ी उन्हें गिफ्ट के तौर पर देनी चाही, तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी चंदेरी आएंगी और फिर वह खुद यह साड़ी लेंगी। यह बात बुनकरों के लिए सम्मान की थी और उन्होंने इसे सराहा।
सिंधिया के इस दौरे से चंदेरी के बुनकरों में नई उम्मीद जगी है। उन्हें विश्वास है कि केंद्रीय मंत्री के वादे के मुताबिक उनकी मेहनत का फल उन्हें जरूर मिलेगा और उनकी कला को नई पहचान मिलेगी। स्वदेशी अभियान के तहत ऐसे दौरे बुनकरों को प्रोत्साहित करने और उनके काम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चंदेरी की साड़ियां अपनी बारीक कारीगरी और अनूठी डिजाइन के लिए जानी जाती हैं, और सिंधिया ने इस बात पर जोर दिया कि इस हुनर को संरक्षित रखना बहुत जरूरी है।
अपने लोकसभा क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चंदेरी हैंडलूम का दौरा किया। वहां उन्होंने बुनकरों से मुलाकात की, उनका हालचाल जाना और उनके द्वारा हाथ से बनाई जाने वाली आकर्षक चंदेरी साड़ियों की तारीफ की। सिंधिया ने बुनकरों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, "मैं लिखकर देता हूं...आने वाले समय में 6 हजार की आबादी सोना और चांदी के समान होंगी। मेन प्रोडक्शन में मत जाओ...आपका नाम आपकी पहचान है क्योंकि आपके हाथ में जो हुनर है वह दुनिया में किसी के पास नहीं। उसे सीमित ही रखो। हाथ से बनाने का काम आज दुनिया में कहीं नहीं होता। उसके लिए आज जिस साड़ी का 5 हजार प्रति साड़ी दिन में मिलता है, लिखकर ले लो मैं लिखकर दूंगा कि आपको आगामी 10 साल के अंदर हाथ से बने हुए इस साड़ी का 10 से 15 हजार रुपए प्रति साड़ी मिलेगी। आप देख लेना मेरे शब्द लिख लो।"
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हैंडलूम में ढाई तोले सोने के धागे से बनी साड़ी का पैटर्न देखा। उन्होंने कारीगरों से इस बारे में चर्चा की और बताया कि उनके परिवार में भी राजशाही पोशाकों में सोने के वर्क वाले दुपट्टे बनते थे। जब कारीगरों ने सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे के लिए खास तौर पर तैयार की गई 'मेहंदी लगे हाथ' ट्रेडिशनल पैटर्न वाली साड़ी उन्हें गिफ्ट के तौर पर देनी चाही, तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी चंदेरी आएंगी और फिर वह खुद यह साड़ी लेंगी। यह बात बुनकरों के लिए सम्मान की थी और उन्होंने इसे सराहा।
सिंधिया के इस दौरे से चंदेरी के बुनकरों में नई उम्मीद जगी है। उन्हें विश्वास है कि केंद्रीय मंत्री के वादे के मुताबिक उनकी मेहनत का फल उन्हें जरूर मिलेगा और उनकी कला को नई पहचान मिलेगी। स्वदेशी अभियान के तहत ऐसे दौरे बुनकरों को प्रोत्साहित करने और उनके काम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चंदेरी की साड़ियां अपनी बारीक कारीगरी और अनूठी डिजाइन के लिए जानी जाती हैं, और सिंधिया ने इस बात पर जोर दिया कि इस हुनर को संरक्षित रखना बहुत जरूरी है।
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