मुंबई: सुनने में भले एक बारगी यकीन न आए लेकिन महराष्ट्र कैडर की युवा महिला आईएएस मित्ताली सेठी ने मिसाल पेश की है। महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले की कलेक्टर मित्ताली सेठी ने अपने दो बच्चों का दाखिला जिला परिषद् के स्कूल में कराया है। कलेक्टर मैडम खुद अपने दोनों बच्चों को स्कूल लेकर पहुंची। मित्ताली की इस पहल का सोशल मीडिया पर दिल खोलकर स्वागत हो रहा है। मित्ताली सेठी महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल जिले में बेहद अलग ढंग से प्रशासन को संचालित कर रही हैं। महाराष्ट्र का यह जिला गुजरात से लगा हुआ है। 2017 में आईएएस बनी मित्ताली सेठी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। यहां उनकी काफी ऐसी तस्वीरें हैं जो उनके अलग मिट्टी से बने होने की गवाही देती हैं।
पूर महाराष्ट्र में सिर्फ मित्ताली की चर्चा
नंदूरबार जिले की कलेक्टर मित्ताली सेठी के इस फैसले की खूब चर्चा हो रही है। उन्हें एक्स पर बधाईयां मिल रही हैं। उनके इस फैसले को लोग सलाम कर रहे रहैं। एक ऐसी ही पोस्ट में सुभाष शेल्के ने लिखा है कि नंदूरबाद कलेक्टर मिताली सेठी ने अपने बच्चों को जिला परिषद स्कूलों में पढ़ाने का फैसला किया है।खास बात यह है कि यहां के स्कूल में सिर्फ़ मराठी बच्चे ही नहीं, बल्कि ज़्यादातर छात्र आदिवासी अहिराणी भाषा बोलते हैं। शेल्के ने आगे लिखा है कि हैट्स ऑफ मित्ताली सेठ। मित्ताली सेठी चंद्रपुर जिले में भी तैनात रह चुकी हैं। पेशे से डॉक्टर पेशे से मित्तली सेठी ने 2017 में अपने तीसरे प्रयास में 56वीं रैंक हासिल करके यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की। दिलचस्प बात यह है कि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें आईएएस का मतलब भी नहीं पता था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कभी परीक्षा की मानसिकता से अखबार भी नहीं पढ़ा था।
तीसरे प्रयास में बनी आईएएस
मित्ताली सेठी ने अपने एक्स बॉयो में लिखा है कि रास्ता ही मंजिल है बाबू मोशाय। उनकी यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक युवा शिविर में भाग लिया। वहां उनकी मुलाकात विकास क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों से हुई, जिससे उन्हें चिकित्सा से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। लगभग उसी समय एक दोस्त ने उन्हें सिविल सेवा के बारे में बताया। इससे उनकी रुचि जागी और उन्होंने इसे आजमाने का फैसला किया। बिना किसी कोचिंग या यूपीएससी पृष्ठभूमि के उन्होंने पांडिचेरी में अपनी नौकरी जारी रखते हुए तैयारी शुरू कर दी। वह दो बार असफल रहीं, लेकिन सुधार के लिए ऑनलाइन संसाधनों, टेस्ट सीरीज और मॉक इंटरव्यू का सहारा लिया। तीसरे प्रयास में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई।
कहां की रहने वाली हैं मित्ताली?
मित्ताली कहती हैं कि आईएएस अधिकारी बनने से उन्हें वास्तव में बदलाव लाने और देश भर के लोगों से जुड़ने का मौका मिला। उनके अनुसार सिर्फ़ परीक्षा के पीछे मत भागो। इसके गहरे उद्देश्य को समझो। छोटे-छोटे, सार्थक कार्यों में आनंद खोजें। सीखने और योगदान देने पर ध्यान केंद्रित करें, न कि केवल अंक प्राप्त करने पर। सफलता का कोई एक रास्ता नहीं है। आपकी यात्रा अनोखी और सार्थक भी हो सकती है। मित्ताली पंजाब के जालंधर में जन्मी और पली-बढ़ी है। वह छोटी उम्र से ही पढ़ाई में अव्वल रहीं। उन्होंने अमृतसर से डेंटल डिग्री (बीडीएस) और बाद में चेन्नई से ऑर्थोडॉन्टिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की की है। उनकी जिंदगी में गडचिरौली जाना टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।
नंदुरबारच्या जिल्हाधिकारी मिताली सेठी यांनी आपली मुले जिल्हा परिषदेच्या शाळेत शिकवण्याचा निर्णय घेतला आहे.
— Subhash Shelke - सुभाष शेळके (@suvishelke) September 18, 2025
विशेष बाब म्हणजे इथल्या शाळेत फक्त मराठी मुले शिकत नसून आदिवासी अहिराणी बोलणारे बहुसंख्य विद्यार्थी आहेत.
हॅट्स ऑफ @MittaliSethiIAS pic.twitter.com/ErkzSnbfIW
पूर महाराष्ट्र में सिर्फ मित्ताली की चर्चा
नंदूरबार जिले की कलेक्टर मित्ताली सेठी के इस फैसले की खूब चर्चा हो रही है। उन्हें एक्स पर बधाईयां मिल रही हैं। उनके इस फैसले को लोग सलाम कर रहे रहैं। एक ऐसी ही पोस्ट में सुभाष शेल्के ने लिखा है कि नंदूरबाद कलेक्टर मिताली सेठी ने अपने बच्चों को जिला परिषद स्कूलों में पढ़ाने का फैसला किया है।खास बात यह है कि यहां के स्कूल में सिर्फ़ मराठी बच्चे ही नहीं, बल्कि ज़्यादातर छात्र आदिवासी अहिराणी भाषा बोलते हैं। शेल्के ने आगे लिखा है कि हैट्स ऑफ मित्ताली सेठ। मित्ताली सेठी चंद्रपुर जिले में भी तैनात रह चुकी हैं। पेशे से डॉक्टर पेशे से मित्तली सेठी ने 2017 में अपने तीसरे प्रयास में 56वीं रैंक हासिल करके यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की। दिलचस्प बात यह है कि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें आईएएस का मतलब भी नहीं पता था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कभी परीक्षा की मानसिकता से अखबार भी नहीं पढ़ा था।
Great things often start small. (James and the Giant Peach).
— Mittali Sethi (@MittaliSethiIAS) November 14, 2024
So lovely and such an honour always to see these smiles! pic.twitter.com/z44uDy0DqE
तीसरे प्रयास में बनी आईएएस
मित्ताली सेठी ने अपने एक्स बॉयो में लिखा है कि रास्ता ही मंजिल है बाबू मोशाय। उनकी यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक युवा शिविर में भाग लिया। वहां उनकी मुलाकात विकास क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों से हुई, जिससे उन्हें चिकित्सा से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। लगभग उसी समय एक दोस्त ने उन्हें सिविल सेवा के बारे में बताया। इससे उनकी रुचि जागी और उन्होंने इसे आजमाने का फैसला किया। बिना किसी कोचिंग या यूपीएससी पृष्ठभूमि के उन्होंने पांडिचेरी में अपनी नौकरी जारी रखते हुए तैयारी शुरू कर दी। वह दो बार असफल रहीं, लेकिन सुधार के लिए ऑनलाइन संसाधनों, टेस्ट सीरीज और मॉक इंटरव्यू का सहारा लिया। तीसरे प्रयास में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई।
Six months of what seemed absolutely impossible. Exclusively breastfeeding two humans. Motherhood is the only time I have felt such exhaustion, connection and delight at the same time. In gratitude for the wonderful things our bodies are capable of. pic.twitter.com/13RuAKZiBk
— Mittali Sethi (@MittaliSethiIAS) March 19, 2023
कहां की रहने वाली हैं मित्ताली?
मित्ताली कहती हैं कि आईएएस अधिकारी बनने से उन्हें वास्तव में बदलाव लाने और देश भर के लोगों से जुड़ने का मौका मिला। उनके अनुसार सिर्फ़ परीक्षा के पीछे मत भागो। इसके गहरे उद्देश्य को समझो। छोटे-छोटे, सार्थक कार्यों में आनंद खोजें। सीखने और योगदान देने पर ध्यान केंद्रित करें, न कि केवल अंक प्राप्त करने पर। सफलता का कोई एक रास्ता नहीं है। आपकी यात्रा अनोखी और सार्थक भी हो सकती है। मित्ताली पंजाब के जालंधर में जन्मी और पली-बढ़ी है। वह छोटी उम्र से ही पढ़ाई में अव्वल रहीं। उन्होंने अमृतसर से डेंटल डिग्री (बीडीएस) और बाद में चेन्नई से ऑर्थोडॉन्टिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की की है। उनकी जिंदगी में गडचिरौली जाना टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।
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