गैंगस्टर रंजन पाठक, उसके पास वो सब कुछ था, जो एक बच्चे के सुनहरे भविष्य के लिए जरूरी होता है। पिता ग्रामीण बिहार में सरकारी नौकरी में था और समाज में अच्छा खासा सम्मान हासिल था। मां अभी भी सीतामढ़ी जिले के मलाही गांव की सरपंच है। रंजन पाठक पढ़ लिखकर पिता की तरह सरकारी नौकरी चुन सकता था। या मां की तरह राजनीति में करियर बना सकता था। लेकिन उसने कुछ और ही रास्ता चुना। आखिर क्यों?
दिल्ली में रंजन समेत 4 गैंगस्टर्स को गुरुवार को ढेर कर दिया गया है। अब इनकी कुंडली खुलने लगी है। बिहार में पैसा वसूली और कॉंट्रेक्ट किलिंग के लिए 25 साल के रंजन पाठक ने सिग्मा एंड कंपनी बना डाली। माता-पिता चाहते थे कि वो सरकारी नौकरी में अपना भविष्य बनाए, लेकिन 19 साल की उम्र में उसकी जिंदगी ने एक अलग मोड़ ले लिया और वो अपराध की दुनिया में चला गया।
परिवार में बड़ा बेटापुलिस के मुताबिक मलाही गांव में जन्मा रंजन मनोज पाठक और विमला देवी का सबसे बड़ा बेटा था। परिवार में एक छोटा भाई और पांच बहनें भी हैं। सरकारी नौकरी की वजह से मनोज रंजन का गांव में काफी सम्मान था। रंजन की मां भी शुरू से पंचायत स्तर की राजनीति में सक्रिय थी। पढ़ाई में रंजन का मन नहीं लगता था। 12वीं में फेल हो गया। और स्थानीय नेताओं के साथ घूमने-फिरने लगा। बस यहीं से उसके गैंगस्टर बनने की कहानी शुरू होती है। लेकिन एक कजन की वजह से रंजन की पूरी राह ही बदल गई।
दूसरी जाति के शख्स से बहन का प्याररंजन की उम्र बमुश्किल 19 साल ही थी। तभी उसे पता चला कि उसकी एक सौतेली बहन को भूमिहार जाति के शख्स से प्यार हो गया है। अपने दोस्त के साथ मिलकर रंजन ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। बदले में उस शख्स के परिवार ने रंजन पर हमला किया।
रंजन के सिर में गोली लगीलड़ाई के दौरान रंजन पाठक के सिर में गोली लगी, लेकिन वो भागने में कामयाब रहा। हालांकि उसकी चोट काफी गंभीर थी और उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी। वो सबसे छिपकर इलाज कराता रहा, लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उन्नी जेल भेज दिया गया। 2024 तक वो जेल में ही रहा।
बिहार में क्राइम की दुनिया को मिला नया नामरंजन पाठक के सिर में लगी गोली का निशान अब उसकी पहचान बन चुकी थी। वो जेल से बाहर आया, लेकिन जुलाई और नवंबर में फिर से गिरफ्तार हुआ। 2025 में जेल से बाहर आते ही वो सीतामढ़ी के नामी गैंगस्टर शशि कपूर के संपर्क में आ गया। उसने शराब की तस्करी के लिए 'सिग्मा एंड कंपनी' खोल डाली। पुलिस के मुताबिक शराब की तस्करी के लिए उसे स्थानीय सरपंच का भी साथ मिला हुआ था। आदित्य ठाकुर नाम के दूसरे शराब तस्कर ने जब आपत्ति जताई तो रंजन ने उसे ठोक डाला। इसके बाद सीतामढ़ी में खूनी खेल शुरू हो गया।
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