काहिरा: पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर अचानक से मिस्र के दौरे पर पहुंचे हैं। असीम मुनीर का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब गाजा में सीजफायर लागू हो गया है लेकिन मिस्र और इजरायल के बीच तनातनी जारी है। असीम मुनीर ने गुरुवार को मिस्र से सैन्य संबंध को मजबूत करने का ऐलान किया। पाकिस्तानी सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि असीम मुनीर ने मिस्र को 'भाईचारे वाला देश' करार दिया। हाल ही में पाकिस्तान ने दुनिया के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम देश सऊदी अरब के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया था। असल में इस रक्षा समझौते से मिस्र काफी नाराज है और अब उसे मनाने के लिए असीम मुनीर अचानक से काहिरा पहुंचे हैं। यही नहीं इजरायल के कतर पर मिसाइल हमले के बाद से ही पाकिस्तान सुपर एक्टिव हो गया है।
पाकिस्तान इजरायल से डरे मुस्लिम देशों के साथ अपने सैन्य संबंध को मजबूत करके पैसे कमाना चाहता है। पाकिस्तान सऊदी अरब को बड़े पैमाने पर हथियार बेचने जा रहा है। वहीं मिस्र भी सेना पर खर्च करता है। मुनीर ने मिस्र के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख से मुलाकात की है। पाकिस्तानी सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस मुलाकात के दौरान आपसी हित के मुद्दों और क्षेत्रीय हालात तथा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई। असीम मुनीर ने कहा कि मिस्र और पाकिस्तान के बीच सहयोग से दोनों ही देशों की जनता को फायदा होगा और क्षेत्र में शांति की स्थापना होगी।
पाकिस्तान-सऊदी डील से मिस्र नाराज
मिस्र में पाकिस्तान के 'असली शासक' असीम मुनीर का जोरदार तरीके से स्वागत किया गया। मिस्र के ग्रैंड इमाम ने असीम मुनीर का स्वागत किया और मुस्लिम दुनिया के सामने चल रही चुनौतियों पर बात की। वहीं विश्लेषकों का कहना है कि इस दौरे का असली मकसद मिडिल ईस्ट के प्रभावशाली देश और अहम सैन्य ताकत मिस्र को मनाना है। न्यू अरब की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब और परमाणु बम से लैस पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौते से मिस्र में बहस छिड़ गई थी। मिस्र में यह कहा जाने लगा था कि सऊदी अरब ने मिस्र की आर्मी के बजाय पाकिस्तानी सेना पर क्यों भरोसा किया।
इस मुद्दे का 16 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में अरब इस्लामिक समिट के दौरान विशेष उल्लेख किया गया। इस बैठक के दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी ने सुरक्षा और रक्षा के मुद्दे पर अरब और मुस्लिम देशों के बीच समन्वय के लिए एक तंत्र बनाने का आह्वान किया। मिस्र ने इस संबंध में सऊदी अरब से जवाब भी मांगा था। मिस्र साल 2015 से ही एक संयुक्त अरब मुस्लिम सेना बनाने की मांग कर रहा है। मिस्र के लोग सवाल कर रहे थे कि सऊदी ने मिस्र के साथ इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर क्यों किया।
मिस्र और भारत की दोस्ती
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते में कहा गया है कि एक देश पर हमला दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। पाकिस्तान दशकों से सऊदी अरब की सेना की मदद करता रहा है। हालांकि इस ताजा समझौते के पीछे वजह इजरायल का कतर पर हमला माना जा रहा है। अब सऊदी अरब को पाकिस्तान की परमाणु छतरी भी मिल गई है। इसके अलावा अमेरिका पर निर्भर सऊदी अरब की अब पर्दे के पीछे से चीनी हथियारों तक पहुंच हो गई है। वहीं मिस्र लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि अरब देशों की रक्षा के लिए एक नाटो जैसी सेना का गठन किया जाए। मिस्र भारत का करीबी दोस्त देश है और साल 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि थे। दोनों के बीच रक्षा सहयोग भी हाल के वर्षों में और मजबूत हुआ है।
पाकिस्तान इजरायल से डरे मुस्लिम देशों के साथ अपने सैन्य संबंध को मजबूत करके पैसे कमाना चाहता है। पाकिस्तान सऊदी अरब को बड़े पैमाने पर हथियार बेचने जा रहा है। वहीं मिस्र भी सेना पर खर्च करता है। मुनीर ने मिस्र के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख से मुलाकात की है। पाकिस्तानी सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस मुलाकात के दौरान आपसी हित के मुद्दों और क्षेत्रीय हालात तथा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई। असीम मुनीर ने कहा कि मिस्र और पाकिस्तान के बीच सहयोग से दोनों ही देशों की जनता को फायदा होगा और क्षेत्र में शांति की स्थापना होगी।
पाकिस्तान-सऊदी डील से मिस्र नाराज
मिस्र में पाकिस्तान के 'असली शासक' असीम मुनीर का जोरदार तरीके से स्वागत किया गया। मिस्र के ग्रैंड इमाम ने असीम मुनीर का स्वागत किया और मुस्लिम दुनिया के सामने चल रही चुनौतियों पर बात की। वहीं विश्लेषकों का कहना है कि इस दौरे का असली मकसद मिडिल ईस्ट के प्रभावशाली देश और अहम सैन्य ताकत मिस्र को मनाना है। न्यू अरब की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब और परमाणु बम से लैस पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौते से मिस्र में बहस छिड़ गई थी। मिस्र में यह कहा जाने लगा था कि सऊदी अरब ने मिस्र की आर्मी के बजाय पाकिस्तानी सेना पर क्यों भरोसा किया।
इस मुद्दे का 16 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में अरब इस्लामिक समिट के दौरान विशेष उल्लेख किया गया। इस बैठक के दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी ने सुरक्षा और रक्षा के मुद्दे पर अरब और मुस्लिम देशों के बीच समन्वय के लिए एक तंत्र बनाने का आह्वान किया। मिस्र ने इस संबंध में सऊदी अरब से जवाब भी मांगा था। मिस्र साल 2015 से ही एक संयुक्त अरब मुस्लिम सेना बनाने की मांग कर रहा है। मिस्र के लोग सवाल कर रहे थे कि सऊदी ने मिस्र के साथ इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर क्यों किया।
मिस्र और भारत की दोस्ती
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते में कहा गया है कि एक देश पर हमला दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। पाकिस्तान दशकों से सऊदी अरब की सेना की मदद करता रहा है। हालांकि इस ताजा समझौते के पीछे वजह इजरायल का कतर पर हमला माना जा रहा है। अब सऊदी अरब को पाकिस्तान की परमाणु छतरी भी मिल गई है। इसके अलावा अमेरिका पर निर्भर सऊदी अरब की अब पर्दे के पीछे से चीनी हथियारों तक पहुंच हो गई है। वहीं मिस्र लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि अरब देशों की रक्षा के लिए एक नाटो जैसी सेना का गठन किया जाए। मिस्र भारत का करीबी दोस्त देश है और साल 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि थे। दोनों के बीच रक्षा सहयोग भी हाल के वर्षों में और मजबूत हुआ है।
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