News India Live, Digital Desk: अक्टूबर का महीना पूरी दुनिया में 'ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ' के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो भारत में महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। डरावनी बात यह है कि इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और सबसे बड़ी वजह है - देरी से पता चलना। ज्यादातर महिलाएं शर्म, झिझक या जानकारी की कमी के कारण डॉक्टर के पास तब पहुंचती हैं, जब कैंसर खतरनाक स्टेज पर पहुंच चुका होता है।लेकिन क्या आप जानती हैं कि आप खुद घर पर हर महीने सिर्फ 5 मिनट निकालकर इस जानलेवा बीमारी को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ सकती हैं? इस जादुई तरीके का नाम है 'ब्रेस्ट सेल्फ-एग्जामिनेशन' (Breast Self-Examination) यानी स्तनों का स्व-परीक्षण। यह इतना आसान है कि कोई भी महिला इसे कर सकती है, और यह आपकी जिंदगी बचाने में सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।क्यों इतना जरूरी है स्तनों का स्व-परीक्षण?डॉक्टरों का कहना है कि अगर ब्रेस्ट कैंसर का पता स्टेज 1 पर ही चल जाए, तो 90% से ज्यादा मामलों में मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है। सेल्फ-एग्जामिनेशन का मकसद आपको अपने स्तनों के बारे में जागरूक करना है। जब आप हर महीने यह जांच करती हैं, तो आपको पता होता है कि आपके स्तन सामान्य रूप से कैसे महसूस होते हैं। ऐसे में, अगर उनमें कोई भी छोटा सा भी बदलाव (जैसे गांठ, सूजन या डिस्चार्ज) होता है, तो वह तुरंत आपकी पकड़ में आ जाता है।यह आपका शरीर है, इसे आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता!कैसे करें स्तनों की जांच? - सही और आसान तरीकायह जांच महीने में एक बार, पीरियड्स खत्म होने के 3 से 5 दिन बाद करनी चाहिए, क्योंकि इस समय स्तन सबसे कम संवेदनशील होते हैं।स्टेप 1: शीशे के सामने देखेंकमर पर हाथ रखकर सीधे खड़े हो जाएं। शीशे में अपने दोनों स्तनों को ध्यान से देखें।क्या दोनों का आकार, साइज और रंग सामान्य है? कहीं कोई सूजन, गड्ढा (डिम्पलिंग), सिकुड़न या त्वचा में कोई बदलाव तो नहीं दिख रहा?अब यही प्रक्रिया अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर दोहराएं।स्टेप 2: लेटकर महसूस करेंबिस्तर पर पीठ के बल लेट जाएं। दाएं स्तन की जांच करने के लिए, अपने दाएं हाथ को सिर के नीचे रखें।अब अपने बाएं हाथ की बीच की तीन उंगलियों के सपाट हिस्से (पोरों) से दाएं स्तन को महसूस करें।हल्के, मध्यम और फिर गहरे दबाव का उपयोग करते हुए, छोटे-छोटे गोल घेरे (सर्कल) में पूरे स्तन की जांच करें। कांख (अंडरआर्म) से लेकर कॉलरबोन (हंसली की हड्डी) तक और क्लीवेज से लेकर बगल तक, कुछ भी छूटना नहीं चाहिए।अब यही प्रक्रिया बाएं स्तन के लिए दोहराएं।स्टेप 3: निप्पल की जांचअंत में, दोनों स्तनों के निप्पल को धीरे से दबाकर देखें कि कहीं उनसे कोई तरल पदार्थ (पानी, दूधिया या खून जैसा डिस्चार्ज) तो नहीं निकल रहा है।कब जाएं डॉक्टर के पास?अगर आपको नीचे दिए गए कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो बिना घबराए और बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:स्तन या कांख में किसी भी तरह की गांठ या मोटापन।स्तन के आकार या साइज में कोई बदलाव।निप्पल से कोई असामान्य डिस्चार्ज।स्तन की त्वचा का लाल होना, सिकुड़ना या संतरे के छिलके जैसा दिखना।निप्पल का अंदर की ओर धंस जाना।याद रखिए, ब्रेस्ट कैंसर से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है। और इस लड़ाई में आपका सबसे पहला और सबसे ताकतवर हथियार है - जागरूकता और समय पर जांच।
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