प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राउज़ एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत में दो महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पेश किए।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने इन दस्तावेज़ों को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित सभी प्रस्तावित आरोपियों के साथ साझा करने का निर्देश दिया।
मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी। ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा वर्ष 2014 में दायर की गई शिकायत और 30 जून, 2021 का एक दस्तावेज़ अदालत में पेश किया। दोनों दस्तावेज़ रिकॉर्ड में शामिल किए गए।
7 अगस्त, 2025 को अदालत ने जाँच अधिकारी से गांधी परिवार की भूमिका पर सवाल किए थे, जबकि इससे पहले अदालत ने दस्तावेज़ों पर स्पष्टीकरण माँगा था।
ईडी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के चंदादाताओं को गुमराह किया गया और कुछ को चुनाव टिकट देने का वादा किया गया।
ईडी ने गांधी परिवार के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था और एजेएल ही नेशनल हेराल्ड का मूल प्रकाशक था।
राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने तर्क दिया कि कांग्रेस का एजेएल को बेचने का कोई इरादा नहीं था, बल्कि वह इसे स्वतंत्रता संग्राम की विरासत के रूप में संरक्षित करना चाहती थी।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ईडी ने एजेएल के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन की अनदेखी क्यों की, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उसकी नीतियाँ कांग्रेस के साथ संरेखित हैं।
सोनिया गांधी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मनु सिंघवी ने ईडी की कार्रवाई को अप्रत्याशित और चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि यंग इंडियन कंपनी का उद्देश्य केवल एजेएल के बकाया ऋण को कानूनी रूप से चुकाना था।
उन्होंने आरोप लगाया कि एक व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर वर्षों बाद मामला फिर से खोला गया। इससे पहले अप्रैल में, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 44 और 45 के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
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