भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों में जासूसी एक अहम हथियार बन चुका है। हाल ही में भारतीय सेना के सफल ऑपरेशन 'सिंदूर' के दौरान एक और अहम मोर्चा खुला — वो था भारत के अंदर मौजूद पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क का। राजस्थान की सरहदी जमीन पर सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जिसमें कई चौंकाने वाले नाम और साजिशें सामने आई हैं।
जासूसी के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई की साजिशेंऑपरेशन सिंदूर के दौरान जहां भारतीय सेना पाकिस्तानी मोर्चे पर मजबूती से डटी रही, वहीं देश के भीतर भी एक युद्ध समानांतर रूप से लड़ा जा रहा था। ये लड़ाई थी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा भारत के खिलाफ खड़ी की गई जासूसी की दीवार को गिराने की।
जैसलमेर और उसके आसपास के सीमावर्ती इलाकों में जांच के दौरान सुरक्षा एजेंसियों को कई ऐसे सुराग मिले जिनसे पता चला कि पाकिस्तानी एजेंसियां ‘हनी ट्रैप’, पैसों का लालच, और धार्मिक आड़ का सहारा लेकर भारत में जासूसी नेटवर्क चला रही हैं।
हनी ट्रैप और मिठाई के डिब्बे में छिपा सिम कार्डजासूसी नेटवर्क की पड़ताल के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने कई इंटरसेप्टेड कॉल्स को रिकॉर्ड किया। इन कॉल्स में पाकिस्तान में बैठे हैंडलर अपने भारतीय एजेंट से बात कर रहे थे। एक बातचीत में पाकिस्तानी हैंडलर उसे मिठाई के डिब्बे में छिपा सिम कार्ड भेजने की जानकारी दे रहा था। बाद में यह सिम एक डिब्बे में मिली जो बाहर से रंग-बिरंगी मिठाइयों से भरा था लेकिन अंदर पाकिस्तान का मोबाइल सिम छिपा था।
पूर्व मंत्री के पीए से लेकर रेलवे कर्मचारी तक शामिलसबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस नेटवर्क में शामिल कुछ नाम बेहद रसूखदार हैं। जैसलमेर से सटे इलाके में पकड़ा गया शकूर खान कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे सालेह मोहम्मद का पीए रह चुका है और वह करीब 8 बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है। वहीं एक अन्य आरोपी भवानी पहले रेलवे कर्मचारी रह चुका है। इन दोनों के अलावा पठान खान जैसे कई अन्य नाम हैं जिनके तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े पाए गए हैं।
धार्मिक स्थलों की आड़ में जासूसी नेटवर्कराजस्थान की सरहद पर, जहां रेगिस्तान की वीरानी फैली होती है, वहां अब मजारें और मस्जिदें दिखने लगी हैं। जांच में यह भी सामने आया कि इन धार्मिक स्थलों की आड़ में पाकिस्तान ने जासूसी के ठिकाने बनाए हैं। गांवों के कुछ लोग जो सीमावर्ती इलाकों में रहते हैं, वो या तो लालच में आकर या हनी ट्रैप में फंसकर भारत की संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान तक पहुंचा रहे थे।
कितना गहरा है यह नेटवर्क?फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह जासूसी नेटवर्क कितना गहरा है और इसकी पहुंच कहां तक है? क्या इससे सेना के रणनीतिक ठिकानों की जानकारी भी लीक हुई है? जांच एजेंसियां इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।
देश की सुरक्षा के लिए नई चुनौतीभारत के लिए अब सबसे बड़ी चिंता यही है कि पाकिस्तानी आईएसआई के ये नेटवर्क सेना, खुफिया एजेंसियों और सरकार से जुड़े अहम संस्थानों तक न पहुंच जाएं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए खुलासे ने यह तो साफ कर दिया है कि सरहद पार की जंग से ज्यादा खतरनाक जंग भारत की सरहद के अंदर लड़ी जा रही है।
निष्कर्ष:
राजस्थान की सरहदों से निकले इस जासूसी कांड ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत को अब दो मोर्चों पर सजग रहना होगा — सरहद के पार से होने वाले सैन्य हमलों से और भीतर के गद्दारों से। ऑपरेशन सिंदूर से मिली जानकारी देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है, जिसका इस्तेमाल कर भारत को अपने अंदरूनी दुश्मनों से भी लड़ाई लड़नी होगी।
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