रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस साल गुजरात के भुज सैन्य अड्डे पर सैनिकों के साथ दशहरा मनाएंगे। सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि वह 1 और 2 अक्टूबर को भुज का दौरा करेंगे। यह सेना के साथ विजयादशमी मनाने की परंपरा को जारी रखने का एक अवसर है। यह यात्रा न केवल सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि पश्चिमी सीमा पर तैनात सैनिकों का मनोबल भी बढ़ाएगी।
1 अक्टूबर: सैनिकों से बातचीत और 'बड़ा खाना'
1 अक्टूबर को राजनाथ सिंह सैनिकों से मिलेंगे। वह पारंपरिक 'बड़ा खाना' में शामिल होंगे, जो अधिकारियों और सैनिकों द्वारा एक साथ खाया जाने वाला भोजन है, जिससे सैनिकों का मनोबल बढ़ेगा। राजनाथ सिंह सैनिकों की समस्याओं को सुनेंगे। यह परंपरा सेना में एकता का प्रतीक है।
2 अक्टूबर: शस्त्र पूजा और संयुक्त अभ्यास
2 अक्टूबर को भुज सैन्य अड्डे पर शस्त्र पूजा होगी। यह एक विशेष दशहरा अनुष्ठान है जिसमें शस्त्रों की पूजा की जाती है। यह सेना के योद्धा स्वभाव को दर्शाता है। पूजा के बाद, राजनाथ सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास लक्की नाला में एक बड़े संयुक्त अभ्यास का अवलोकन करेंगे। इस अभ्यास में भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक बल और अन्य सुरक्षा एजेंसियाँ भाग लेंगी। यह अभ्यास सीमा पर तैयारियों का प्रदर्शन करेगा।
भुज का महत्व: पश्चिमी सीमा सुरक्षा का एक केंद्र
भुज सैन्य अड्डा भारत की पश्चिमी सीमा के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह पाकिस्तान से सटा है। यहाँ से कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन किए गए हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भुज ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। हाल के वर्षों में, पाकिस्तानी ड्रोन हमलों का भी यहीं से मुकाबला किया गया है। राजनाथ सिंह का यह दौरा क्षेत्र में सुरक्षा को मज़बूत करने का संदेश देगा।
सेना के साथ विजय का जश्न
भारत में विजयादशमी पर शस्त्र पूजा करने की एक लंबी परंपरा रही है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई वर्षों से अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के साथ दशहरा मनाते आ रहे हैं। पिछले साल, उन्होंने दार्जिलिंग के सुकना स्थित 33 कोर मुख्यालय में शस्त्र पूजा की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीमा पर तैनात सैनिकों के साथ दिवाली मनाते हैं। यह परंपरा सेना के जज्बे को सलाम करती है। राजनाथ सिंह का यह दौरा सांस्कृतिक उत्सव और सैन्य तैयारियों का संगम है। इससे सैनिकों का मनोबल बढ़ेगा और देश की एकता मजबूत होगी।
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