राजस्थान यूनिवर्सिटी में आरएसएस के शस्त्र पूजन कार्यक्रम के दौरान हंगामा करने के आरोप में गिरफ्तार एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ और उनके साथियों किशोर चौधरी एवं कमल चौधरी को राजस्थान हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। इससे पहले ट्रायल कोर्ट और एडीजे कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करने के बाद तीनों आरोपियों को राहत मिली और जाखड़ जेल से करीब 17 दिन बाद बाहर आएंगे।
जमानत मिलने के बाद विनोद जाखड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह मामला राजनीतिक दुर्भावना से दर्ज किया गया है और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। जाखड़ ने कहा, "हमने गांधीवादी तरीके से, राजनीतिक उद्देश्य से शिक्षा के मंदिर में आयोजित कार्यक्रम का विरोध किया था। हमारा इरादा किसी प्रकार की हिंसा या हंगामा करने का नहीं था।"
विनोद जाखड़ और उनके साथियों के खिलाफ यह मामला विश्वविद्यालय परिसर में आरएसएस के शस्त्र पूजन कार्यक्रम के दौरान उत्पन्न हुई स्थिति को लेकर दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान हंगामा किया और अनुशासन भंग किया। हालांकि, जाखड़ और अन्य आरोपियों का कहना है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से किया गया था।
हाईकोर्ट के जमानत आदेश से स्पष्ट हो गया है कि अदालत ने आरोपियों के पक्ष में तर्कों को महत्व दिया और उनके जेल में रखे जाने की आवश्यकता को अब कम माना। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जमानत पर रिहा आरोपियों को भविष्य में न्यायालय द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करना होगा।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले ने विश्वविद्यालय परिसरों में राजनीतिक गतिविधियों और छात्र राजनीति के बीच संतुलन पर सवाल खड़ा किया है। साथ ही, यह मामला यह भी दर्शाता है कि छात्र संगठन अपने दृष्टिकोण और विरोध प्रकट करने के लिए शांति और लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
एनएसयूआई के नेताओं ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और इसे न्यायप्रिय निर्णय बताया। संगठन का कहना है कि यह निर्णय छात्र राजनीति और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय परिसर में इस तरह के विवादजनक कार्यक्रमों और विरोध प्रदर्शन के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। इस घटना ने छात्र संगठन और विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों के लिए चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के दौरान अनुशासन और सुरक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।
जमानत मिलने के बाद विनोद जाखड़ और अन्य आरोपियों के समर्थकों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने राजनीतिक कार्यों को जारी रखेंगे और किसी भी तरह की हिंसा से दूर रहेंगे। इस मामले ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका छात्र नेताओं के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
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