भारत में हर मंदिर का अपना एक अनोखा इतिहास और मान्यता होती है। इनमें से कुछ मंदिर अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। झारखंड के दुमका में स्थित पहाड़ी बाबा चूटो नाथ का मंदिर भी ऐसी ही एक अनोखी मान्यता और परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में पूजा का तरीका और चढ़ावा अजीबोगरीब है, जो इसे बाकी मंदिरों से अलग बनाता है।
मन्नत पूरी होने पर चढ़ाई जाती है देसी शराब
दुमका के इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां मन्नत पूरी होने पर चढ़ावे में सोने-चांदी के जेवर या पैसे नहीं, बल्कि देसी शराब चढ़ाई जाती है। खासकर महुआ से बनी देसी शराब, जिसे मंदिर में प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है। यहां के लोग मानते हैं कि भगवान चूटो नाथ की कृपा से ही उनकी मन्नत पूरी होती है, और इसके बदले में देसी शराब अर्पित की जाती है। हालांकि, इस शराब का सेवन कोई भक्त नहीं करता, बल्कि पास की मयूराक्षी नदी के किनारे प्रसाद पकाकर भक्त उसे ग्रहण करते हैं।
यहां पूजा करवाने वाले पुजारी
इस मंदिर के पुजारी किसी ब्राह्मण समुदाय के नहीं होते, बल्कि घटवाल समुदाय के लोग होते हैं। ये लोग मंदिर की पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों को संपन्न कराते हैं। यह परंपरा इस मंदिर की एक और विशेषता है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।
चड़क पूजा और कठिन साधना
इस मंदिर में चड़क पूजा का आयोजन साल में एक बार, 14 अप्रैल को होता है। चड़क पूजा के दौरान भक्त बहुत कठिन साधना करते हैं। इस पूजा में भक्त कांटों पर चलते हैं और कुछ भक्त तो अंगारों पर भी चलते हैं। यह पूजा बाबा की भक्ति में पूर्ण रूप से डूबने का प्रतीक है। इस दौरान, भक्त अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए कठिन तपस्या करते हैं। यहां के भक्तों का कहना है कि यह कठिन साधना उनके विश्वास और भक्ति को प्रगाढ़ करती है।
बलि की परंपरा और पूजा के नियम
चूटो नाथ मंदिर में बलि देने की परंपरा भी है, जो सालभर होती है। हालांकि, चड़क पूजा से 14 दिन पहले तक बलि की प्रक्रिया पर रोक लगा दी जाती है। इस समय मंदिर में केवल फुलाइश पूजन होता है। चड़क पूजा के दिन, मंदिर में एक भव्य मेला भी लगता है, जहां रात भर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
मंदिर में बलि देने के लिए बकरों का उपयोग किया जाता है, और यह परंपरा यहां के स्थानीय लोग बहुत श्रद्धा से निभाते हैं। हालांकि, चड़क पूजा के दौरान बलि नहीं दी जाती, और यह समय भक्तों के लिए सिर्फ पूजा और भक्ति का होता है।
धार्मिक अनुष्ठान और लोक मान्यताएं
यह मंदिर न केवल पूजा का स्थान है, बल्कि स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का भी केंद्र है। यहां की परंपराएं और धार्मिक अनुष्ठान लोक मान्यताओं के साथ गहरे जुड़े हुए हैं। मंदिर में मन्नतें पूरी होने के बाद देसी शराब अर्पित करना और उसके बाद उसे प्रसाद के रूप में पकाना और ग्रहण करना, यह सब इस मंदिर की धार्मिक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।
निष्कर्ष
दुमका का चूटो नाथ मंदिर न केवल अपनी अनोखी पूजा परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएं इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं। यहां की चड़क पूजा, देसी शराब का चढ़ावा, और बलि की परंपरा इस मंदिर को एक विशेष पहचान दिलाती हैं। यदि आप भी झारखंड में धार्मिक पर्यटन पर जाएं तो इस मंदिर की यात्रा करना एक अनूठा अनुभव हो सकता है, जो आपको भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहरी समझ प्रदान करेगा।
You may also like
मध्य प्रदेश : 'सम्मान निधि' से बदली जबलपुर के किसानों की तकदीर, चेहरों पर लौटी मुस्कान
बिना हेलमेट स्कूटी वाले को ट्रैफिक पुलिस ने पकड़ा तो काट लिया उसका हाथ, हुआ अरेस्ट ι
2000 रूपए किलो बिकती है ये सब्जी, एक एकड़ में खेती से आएंगे 7 लाख 5 स्टार होटल में है खूब डिमांड, जाने नाम ι
शादी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ने के 6 प्रमुख कारण
इंदौर में शादी के झांसे में फंसी ट्रांस गर्ल की दर्दनाक कहानी