भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपने राजनीतिक जीवन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और इंसान को हर स्थिति को स्वीकार करना चाहिए।
राठौड़ ने कहा, “मेरे बारे में भी बहुत से लोग कहते हैं कि बहुत ऊंचाइयों पर था। प्रतिपक्ष का नेता था, मुख्यमंत्री की बात लोग करते थे। लेकिन आज धरती पर लौट गया। मैं समझता हूं, एक व्यक्ति को बनने में बहुत समय लगता है लेकिन मिटने में समय नहीं लगता।”
राजनीतिक संदेशराजेंद्र राठौड़ के इस बयान को उनकी मौजूदा राजनीतिक स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद से ही राजस्थान भाजपा की राजनीति में नए समीकरण बने हैं। राठौड़, जो कभी मुख्यमंत्री की दौड़ में माने जाते थे, अब पार्टी संगठन में अपेक्षाकृत शांत भूमिका में नज़र आ रहे हैं।
विनम्रता का भावराठौड़ ने यह भी इशारा किया कि सत्ता और पद स्थायी नहीं होते। उनका कहना था कि नेता को उत्थान और पतन दोनों परिस्थितियों को धैर्य से स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने इसे जीवन का स्वाभाविक चक्र बताते हुए कहा कि जनता और पार्टी का विश्वास ही असली ताकत है।
कार्यकर्ताओं के लिए सीखभाजपा नेता का यह बयान कार्यकर्ताओं के लिए भी संदेश माना जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजनीति में टिके रहने के लिए धैर्य, संघर्ष और सेवा भाव जरूरी है। साथ ही, किसी भी पद या उपलब्धि को अहंकार का कारण नहीं बनाना चाहिए क्योंकि समय बदलते देर नहीं लगती।
चर्चा में बयानराजेंद्र राठौड़ का यह बयान सोशल और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। विरोधी दल जहां इसे भाजपा में बदलते समीकरणों से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं समर्थक इसे एक अनुभवी नेता की विनम्रता और स्पष्टवादिता मान रहे हैं।
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