हरिद्वार, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) . उत्तरी हरिद्वार स्थित मिश्रीमठ में पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव के समापन पर आवाह्न अखाड़ा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव शिवशंकर गिरि महाराज ने कहा कि करौली शंकर महादेव ने राष्ट्रवाद, संस्कृतिवाद व समन्वयवाद का प्रचार-प्रसार करने के साथ राष्ट्र को रोग, शोक मुक्त करने का विराट संकल्प धरातल पर उतारने का कार्य किया है. उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि पूर्ण गुरु करौली शंकर महादेव को जूना अखाड़ा की आवाहन-अग्नि परंपरा का महामंडलेश्वर बनाया जाए, जिससे धर्म, संस्कृति के कार्यों को गतिशीलता प्राप्त होगी.
उन्हाेंने कहा कि करौली शंकर महादेव ने कहा कि कुंडलिनी जागरण और ध्यान साधना मनुष्य को सद्मार्ग की ओर अग्रसर करती है. हमें जीवन में सफलता, यश, वैभव व संस्कारों की प्राप्ति हेतु परिवार को छोड़ना नहीं है, संसार को त्यागना नहीं है. हमारे जीवन में परिवार व समाज से बढ़कर कोई नहीं. हर व्यक्ति को अपने कार्य में कुशल होकर ध्यान साधना के पथ पर चलकर रोग, शोक से मुक्ति पाने का प्रयास करना चाहिए. जब हम रोग, शोक से मुक्त होकर सशक्त बनेंगे तभी हमारे कुल का गौरव बढ़ेगा.
उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित असंख्य संतों, साधुओं और साधकों का स्वागत करते हुए कहा कि मि मठ के तत्वावधान में तीर्थनगरी की पावन धरा पर हुआ यह पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव बेहद सफल रहा है. इस महोत्सव का संदेश समूचे राष्ट्र में ऊर्जा का संचार करेगा. साधकों को जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ सफलता की उपलब्धि हासिल होगी. भगवान नारायण की छत्रछाया में पवित्र नगरी वृंदावन में अगला महोत्सव आयोजित किया जायेगा. कार्यक्रम के दौरान गुरु जी ने सभी साधकों को कुण्डलिनी जागरण और ध्यान साधना का दिव्य अनुभव कराया.
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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