अगली ख़बर
Newszop

अब पाउडर के रूप में मिलेगा शहद, हरियाणा के सोनीपत में निफ्टेम वैज्ञानिकों ने किया ईजाद

Send Push

Haryana के सोनीपत के कुंडली स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) में हुआ शोध

यह शोध शहद को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में करेगा मदद, अब उपभोक्ताओं को इसे उपयोग में लाना होगा आसान

सोनीपत, 21 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Haryana

के सोनीपत के कुंडली स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) के

वैज्ञानिकों ने पारंपरिक तरल शहद को एक नए रूप में प्रस्तुत करते हुए हनी पाउडर तैयार

किया है. यह शोध न केवल शहद को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि उपभोक्ताओं

के लिए इसे उपयोग में लाना भी अत्यंत आसान बनाएगा.

निफ्टेम

के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रजनी चोपड़ा के नेतृत्व

में तैयार यह उत्पाद तीन प्राकृतिक स्वादों अदरक, तुलसी और पुदीना में विकसित किया

गया है. यह पाउडर पूरी तरह प्राकृतिक, रसायन मुक्त और लंबे समय तक टिकाऊ है. डॉ. चोपड़ा के अनुसार, परंपरागत तरल शहद की सबसे बड़ी समस्या उसकी चिपचिपाहट, नमी

सोखने की प्रवृत्ति और समय के साथ जम जाने की होती है. इस पाउडर रूप में शहद इन सभी

कठिनाइयों से मुक्त रहेगा. उन्होंने बताया कि यह पाउडर बिना किसी कृत्रिम संरक्षक या

रासायनिक तत्व के तैयार किया गया है, जिससे इसका स्वाद और गुण पूरी तरह प्राकृतिक बने

रहते हैं.

उन्होंने

बताया कि “हनी पाउडर” बनाने की प्रक्रिया वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत सटीक है. सबसे

पहले शहद को पौधों पर आधारित प्राकृतिक तत्वों के साथ मिलाकर एक घोल तैयार किया जाता

है. यह घोल ‘स्प्रे ड्राई’ तकनीक से सुखाया जाता है, जिससे तरल शहद पाउडर के रूप में

परिवर्तित हो जाता है. इस प्रक्रिया से लगभग 70 प्रतिशत उत्पाद प्राप्त होता है अर्थात

एक किलो तरल शहद से लगभग 700 ग्राम पाउडर तैयार होता है.

इस पाउडर

की कई विशेषताएं यह हैं कि यह तरल शहद की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम कैलोरी प्रदान

करता है. इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह पाचन के लिए लाभकारी है. यह

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है. इसे लंबे समय तक बिना खराब हुए

सुरक्षित रखा जा सकता है. यह बेकरी उत्पादों, हर्बल चाय, स्वास्थ्य पूरक और त्वरित

पेय पदार्थों में एक प्राकृतिक मीठे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.

डॉ.

चोपड़ा का कहना है कि आयुर्वेद में पुराना शहद उत्तम माना गया है, परंतु आम उपभोक्ता

बाजार में जमा हुआ शहद देखकर उसे खरीदने में हिचकते हैं. इस पाउडर रूप ने उस मानसिक

बाधा को भी दूर कर दिया है. यह उत्पाद हल्का, सूखा और ले जाने में अत्यंत सुविधाजनक

है.

निफ्टेम-कुंडली

के निदेशक डॉ. हरेंद्र ओबरॉय ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा कि यह खोज Indian

परंपरागत खाद्य ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि

है. उन्होंने बताया कि यह पाउडर न केवल भारत के उपभोक्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगा,

बल्कि विश्व बाजार में Indian शहद की प्रतिष्ठा को भी नया आयाम देगा.

डॉ.

ओबरॉय ने कहा कि निफ्टेम लगातार ऐसे अनुसंधान कर रहा है जो देश के कृषि एवं खाद्य क्षेत्र

को नई दिशा दें. हनी पाउडर इसी क्रम की एक बड़ी उपलब्धि है, जो किसानों, मधुमक्खी पालकों

और उद्योग जगत तीनों के लिए लाभदायक सिद्ध होगी. यह नवाचार

Indian वैज्ञानिक सोच, आयुर्वेदिक परंपरा और आधुनिक खाद्य प्रौद्योगिकी का उत्कृष्ट

संगम है, जो शहद को एक नया, सुविधाजनक और स्वास्थ्यवर्धक रूप प्रदान करता है.

—————

(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें