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मप्र के मुरैना की सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना से मिला न्यूनतम 2.70 रुपये प्रति यूनिट का टैरिफ

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भोपाल, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh ने मुरैना में अपनी पहली सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना विकसित की है, जिसमें अब तक का सबसे कम 2.70 रुपये प्रति यूनिट का ऐतिहासिक टैरिफ प्राप्त हुआ है. यह भारत में पहली बार है कि किसी फर्म और डिसपेचेबल रिएन्युबल एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए तीन रुपये प्रति यूनिट से कम टैरिफ हासिल किया गया है.

प्रदेश के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि सोलर प्लस स्टोरेज मुरैना परियोजना ऐतिहासिक है. Chief Minister डॉ. मोहन यादव ने मुरैना प्रोजेक्ट में प्राप्त सफलता के आधार पर लंबे समय की ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्धता जताई है. इस बात पर संतोष जताया गया कि परियोजना में प्राप्त न्यूनतम टैरिफ प्रदर्शित करता है कि नवीकरणीय ऊर्जा भी डिस्कॉम के लिए अधिक किफायती हो सकती है.

मंत्री शुक्ला ने कहा कि सोलर स्टोरेज प्रोजेक्ट मुरैना की विशेषता है कि इसके द्वारा सामान्य सौर घंटों एवं पीक घंटों के दौरान समान स्तर की विद्युत आपूर्ति की जाएगी. देश की पहली सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना है, जिसमें 95 प्रतिशत पीक आपूर्ति की सुनिश्चित वार्षिक उपलब्धता है. साथ ही टैरिफ भी न्यूनतम 2.70 रुपये प्रति यूनिट है. अब तक सबसे कम टैरिफ 3.09 रुपये प्राप्त हुआ था, जो शाम को दो पीक ऑवर्स में अनुबंधित सौर क्षमता के केवल 50 प्रतिशत की आपूर्ति एवं 85 प्रतिशत वार्षिक उपलब्धता के लिये था.

शुक्ला ने बताया कि विगत 19 सितंबर, 2025 को हुई ई-रिवर्स नीलामी में प्राप्त दर आगामी 25 वर्षों के लिए निर्धारित हुई है. यह 2.70 रुपये प्रति यूनिट के ऐतिहासिक टैरिफ के साथ संपन्न हुई है. यह पूरे भारत में एफडीआरई निविदाओं के लिए एक मील का पत्थर है. निविदा में 16 बोलीदाताओं के साथ वैश्विक भागीदारी देखी गई, जिसमें बोली क्षमता की खरीद की जाने वाली बोली क्षमता का लगभग 10 गुना था. नीलामी में एक्मे सोलर होल्डिंग्स, अडानी रिन्यूएबल, एम्पिन एनर्जी, अप्रावा एनर्जी, सीगल इंडिया लिमिटेड, दिलीप बिल्डकॉन, एंजी एनर्जी, गोल्डी सोलर, एमबी पॉवर, एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी, पावर मेक, पूर्वा ग्रीन, रिन्यू सोलर, सेरेंटिका रिन्यूएबल्स, शिवालय कंस्ट्रक्शन्स और वारी फॉरएवर एनर्जीज सहित प्रतिष्ठित कंपनियां शामिल रही.

मंत्री शुक्ला ने बताया कि मुरैना परियोजना भारत की एनर्जी ट्रांजिशन में एक नया मोड़ है. उम्मीद है कि इस तरह के उत्साहजनक परिणाम देश को कोयला आधारित बिजली की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा सहित ऊर्जा भंडारण का चयन करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जिससे देश के स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य को बल मिले.

उन्होंने कहा कि क्लीन एनर्जी की दिशा में बढ़ने के लिए यह बड़ा कदम है. अब दिन के समय सोलर से पैदा होने वाली बिजली से प्रोजेक्ट के साथ स्थापित की गई विशाल बैटरी को चार्ज किया जाएगा. सूर्यास्त के बाद शाम को इसी बैटरी से बिजली की सप्लाई हो जाएगी. डिस्चार्ज बैटरी को मध्यरात्रि बाद सबसे कम दरों में मिलने वाली सस्ती ग्रिड पॉवर (थर्मल, जल या पवन) से फिर चार्ज किया जाएगा. सुबह के समय फिर बैटरी से सप्लाई दी जाएगी. मंत्री शुक्ला ने बताया कि जिस तरह घरों में बिजली जाने के बाद इनवर्टर काम आते हैं, बैटरी बैकअप रहता है, ठीक उसी तरह अब सोलर के बड़े प्रोजेक्ट काम करेंगे.

मुरैना पार्क में दो सोलर प्लस बैटरी भंडारण इकाइयां शामिल

मंत्री शुक्ला ने बताया कि मुरैना पार्क में दो सोलर प्लस बैटरी भंडारण इकाइयां शामिल है. प्रत्येक इकाई से तीनों अवधियों में 220 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होगी : (i) रियल टाइम सोलर (220 मेगावाट तक), (ii) शाम के पीक ऑवर्स के दौरान 2 घंटे (बैटरी चार्ज करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा) और (iii) सुबह के पीक ऑवर्स के दौरान 2 घंटे (बैटरी चार्ज करने के लिए रात्रि के समय सस्ती ग्रिड पॉवर का उपयोग किया जाएगा). इस पार्क को रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (रमसल) द्वारा क्रियान्वित किया गया है. रमसल पहले भी प्रतिष्ठित नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित किया है.

सफल निविदादाता सीगल इंडिया लिमिटेड और एक्मे सोलर होल्डिंग्स लिमिटेड हैं, जिनके टैरिफ यूनिट एक और यूनिट दो के लिए क्रमशः 2.70 रुपये और 2.764 रुपये प्रति यूनिट हैं. इस नीलामी में प्राप्त टैरिफ से स्पष्ट है कि डिस्पेचेबल नवीकरणीय ऊर्जा (बैटरी भंडारण के साथ सौर ऊर्जा के संयोजन से सक्षम) कोयला आधारित बिजली की तुलना में अधिक किफायती हो गई है.

रमसल द्वारा परियोजना को निविदा से पहले निवेश के लिए तैयार किया गया. इंटरनेशनल फायनेंस कॉर्पोरेशन द्वारा ट्रांजेक्शन एडवाइजर के रूप में मध्यप्रदेश में तैयार की गई जोखिम मुक्त परियोजनाओं ने समय-समय पर प्रमाणित किया है कि बैंकेबल अनुबंध, पूरी तरह से भूमि एकत्रीकरण, सक्रिय पारेषण योजना, वित्त पोषण और अनुबंध सहित साइट तैयार करना, पर्यावरण और सामाजिक जोखिमों को पर्याप्त रूप से कम करना, साथ ही एक पारदर्शी और विकासक अनुकूल निविदा प्रक्रिया के परिणामस्वरूप बेहतर मूल्य निर्धारण से उल्लेखनीय बचत होती है.

मंत्री राकेश शुक्ला ने चंबल क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए मुरैना परियोजना को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया. इस परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

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(Udaipur Kiran) तोमर

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