रांची, 9 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . सदर अस्पताल में 50 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के भाजपा के आरोपों पर सिविल सर्जन (सीएस) डॉ प्रभात कुमार ने सफाई दी है. उन्होंने सदर अस्पताल में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्त्ता में कहा कि यह मामला किसी घोटाले का नहीं, बल्कि कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी के चयन से जुड़ा है.
डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि प्रस्तावित 50 करोड़ रुपए की राशि में से लगभग 48 करोड़ रुपए कर्मचारियों के वेतन भुगतान में सीधे उनके खातों में जाएगा.
वहीं शेष राशि का अधिकतम चार प्रतिशत, यानी करीब 2 करोड़ रुपए, एजेंसी को सेवा शुल्क के रूप में दिया जाएगा. यह भुगतान Jharkhand सरकार निर्धारित नियमों के अनुसार करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग का निर्देश है कि सभी कार्य पूर्ण पारदर्शिता के साथ किया जाए. ऐसे में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं है.
टेंडर अभी जारी नहीं हुआ, केवल प्री-बिड हुई बैठक
उन्होंने यह भी बताया कि यह टेंडर अभी जारी नहीं हुआ है, बल्कि केवल प्री-बिड बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में 15 कंपनियों ने भाग लिया और अपने सुझाव साझा किए. प्रस्ताव में Jharkhand की कंपनियों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है.
उन्हों ने बताया कि वर्ष 2022 में सदर अस्पताल में 200 बेड थे, जबकि वर्तमान में यह संख्या 825 तक पहुंच चुकी है. साथ ही, अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में मिलाकर जिले के अधीन कुल 1500 से अधिक बेड संचालित हैं. कार्य की बढ़ती क्षमता को देखते हुए निविदा की राशि और शर्तें तय की गई हैं.
सीएस ने बताया कि निविदा की अनुमानित लागत 15 करोड़ से अधिक है, जिसमें बोली लगाने वाली एजेंसियों से न्यूनतम दो वर्क ऑर्डर 10 या 15 करोड़ के अनुभव की मांग की गई है.
1500 कर्मचारी आउटसोर्सिंग के माध्यम से हैं कार्यरत
सीएस ने कहा कि सदर अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में लगभग 1500 कर्मचारी आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्यरत हैं. इसी आधार पर इस निविदा में 1500 कर्मचारियों की संख्या तय की गई है.
सिविल सर्जन ने बताया कि वर्ष 2022 में 300 के करीब कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर कार्यरत थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 1500 हो गई है. इसलिए इस बार का टेंडर 25 करोड़ रुपए का रखा गया है. ताकि सभी कर्मचारियों का वेतन और अन्य भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि सभी एजेंसियों को नोटराइज्ड शपथ पत्र देना अनिवार्य किया गया है, जिसमें यह उल्लेख होगा कि वे किसी भी प्रकार की ब्लैकलिस्टिंग में शामिल नहीं हैं. यदि भविष्य में किसी एजेंसी की ओर से गलत जानकारी दी जाती है, तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी.
डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि पूरी प्रक्रिया Jharkhand प्रोक्योरमेंट पॉलिसी, सीवीसी और जीएफआर के प्रावधानों के अनुरूप की जा रही है. उन्होंने दोहराया कि सदर अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में सेवा गुणवत्ता बढ़ाने के साथ पारदर्शिता सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
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