– यज्ञ अनुष्ठान, भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न एवं महत्वपूर्ण अंग हैः परमार
भोपाल, 22 अप्रैल . उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने मंगलवार को मंत्रालय स्थित सभाकक्ष में, उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के संयुक्त तत्वावधान में यज्ञ अनुष्ठान के विभिन्न पहलुओं पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित शोध, परीक्षण एवं प्रयोगात्मक अध्ययन कार्यों के विस्तृत प्रतिवेदन का अवलोकन किया. प्रतिवेदन प्रस्तुतीकरण द्वारा शोधार्थी विद्यार्थियों ने मंत्री परमार को अपने शोध एवं अध्ययन कार्यों से भी अवगत कराया.
मंत्री परमार ने भारतीय ज्ञान परम्परा के महत्वपूर्ण अंग यज्ञ अनुष्ठान पर, वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित आध्यात्मिक पुरुषार्थ करने वाले समस्त शोधार्थी विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिक दल की सराहना करते हुए, उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि यज्ञ अनुष्ठान, भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न एवं महत्वपूर्ण अंग है. यज्ञ अनुष्ठान के शोध एवं अध्ययन का यह निष्कर्ष, वैश्विक मानस पटल पर भारतीय पुरातन ज्ञान के प्रति मानसिक अवधारणा को प्रभावित करेगा और भारतीय समाज में प्रचलित परम्परा के रूप में निहित ज्ञान में विद्यमान वैज्ञानिक दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर अभिव्यक्त करेगा.
परमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित शोध एवं अध्ययन सतत् होना चाहिए. भारतीय समाज में हर विद्या हर क्षेत्र में विद्यमान ज्ञान को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में पुनः शोध एवं अनुसंधान कर, दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता हैं. इसके लिए समाज में अपने पुरातन ज्ञान के प्रति स्वत्व का भाव जागृत कर, हीन भावना से मुक्त होना होगा. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने समाज में शोध एवं अनुसंधान के आधार पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण समावेशी परंपराएं स्थापित की थीं. अतीत के विभिन्न कालखंडों में भारतीय समाज की परम्पराओं के प्रति हीन दृष्टि बनाने का कुत्सित प्रयास किया गया. ऐसे शोध निष्कर्षों से भारतीय समाज के प्रति वैश्विक मानसिक अवधारणा में परिवर्तन आएगा.
मंत्री परमार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति एवं प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों जल, सूर्य एवं वृक्ष आदि के संरक्षण के लिए कृतज्ञता के भाव से श्रद्धा रूप में परम्परा एवं मान्यता स्थापित की थीं. कृतज्ञता, भारत की सभ्यता एवं विरासत है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने शिक्षा में भारतीय ज्ञान परम्परा के समावेश का महत्वपूर्ण अवसर दिया है. भारतीय ज्ञान परम्परा मात्र ग्रंथों में सीमित नहीं है बल्कि इसमें समृद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश हैं. इसके दस्तावेजीकरण की आवश्यकता है. इससे भविष्य की पीढ़ी जान सकेगी कि भारत विश्वगुरु की संज्ञा से क्यों सुशोभित था. ऐसे शोध एवं अध्ययन के निष्कर्ष समाज को अपने ही ज्ञान के प्रति हीन भावना से मुक्त करेंगे और वैश्विक मानस को परिवर्तित करने में योग्यता सिद्ध करेंगे.
ज्ञातव्य है कि अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में रायसेन जिले के मंडीदीप स्थित औद्योगिक क्षेत्र में 13 से 16 जनवरी 2025 को संपन्न हुए चार दिवसीय आमजन शक्ति संवर्धन, विराट 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के दौरान यह शोध, परीक्षण एवं अध्ययन कार्य संपादित किए गए है. उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल के 27 शोधार्थी विद्यार्थियों ने विभिन्न संस्थानों के समन्वय एवं सहयोग से यह प्रयोगात्मक अध्ययन एवं शोध कार्य किया है, जिसके उत्साहजनक निष्कर्ष एवं सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. यज्ञ के दौरान भस्म, जल, वायु, मृदा, स्वास्थ्य(सामाजिक) तथा ध्वनि पर; शोध एवं अध्ययन कर यह विस्तृत प्रतिवेदन तैयार किया गया है. गायत्री महायज्ञ के वैज्ञानिक परीक्षण, शोध एवं प्रयोगात्मक अध्ययन में उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल, मप्र प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड भोपाल, मण्डीदीप प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल, मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल, फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FPA इंडिया) एवं राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं प्रतिनिधियों का विशेष सहयोग रहा है.
उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल के निदेशक डॉ. प्रजेश कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में, संस्थान के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों ने शोध कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुये, यज्ञ को पर्यावरण शुद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने का महत्वपूर्ण कारक बताया है. शोध कार्य के दौरान कई हानिकारक प्रदूषकों के मानको का स्तर घटा हुआ पाया गया जैसे SO2, NO2, PM10, PM2.5, Bacterial Content पानी में बहुत कम हुआ, मिट्टी की उर्वरकता में अप्रत्याशित वृद्धि पाई गई. विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया, ऋणात्मक आयन की वृद्धि से मंडीदीप क्षेत्र का पर्यावरण शुद्ध होता पाया गया. यज्ञीय वायु में ऑक्सीजन, बेंजीन, टोलियूईन, HLOOM आदि पर शोध हुए.
प्रतिवेदन प्रस्तुतीकरण के दौरान उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल के विभिन्न प्राध्यापकगण, गायत्री परिवार के विभिन्न पदाधिकारीगण, सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधिगण, वैज्ञानिक दल एवं शोधार्थी विद्यार्थी उपस्थित थे.
तोमर
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