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जंतर मंतर पर 'अंतरिक्ष दिवस' आयोजित

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जयपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव और उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दीया कुमारी की पहल पर राजस्थान को एस्ट्रो टूरिज्म में अग्रणी प्रदेश बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया। इसी क्रम में जयपुर स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जंतर मंतर पर शनिवार को पहली बार राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का आयोजन हुआ। यह आयोजन राजस्थान पर्यटन विभाग और स्पेस इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में पहुँचीं उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि यह क्षण राजस्थान के लिए ऐतिहासिक और गौरवशाली है, क्योंकि 300 वर्षों के बाद जंतर मंतर के भव्य यंत्रों का प्रयोग लाइव खगोलीय अवलोकन के लिए किया गया। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा—मैं भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहती थी, लेकिन राजनीति में आ गई।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आयोजन केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि हमारी समृद्ध परंपरा और गहन खगोल ज्ञान को पुनर्जीवित करने का अवसर है। यह विज्ञान, संस्कृति और इतिहास का अद्वितीय संगम है। उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन खगोल ज्ञान और आधुनिक अंतरिक्ष मिशन मिलकर पूरी दुनिया को नई दिशा दे सकते हैं।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान अब केवल किलों और महलों की धरोहर तक सीमित नहीं है, बल्कि ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टि की धरती के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है। इस वर्ष का विषय था प्राचीन आकाश से अंतरिक्ष युग तक। उन्होंने महाराजा सवाई जय सिंह के यंत्रों से लेकर भारत के चंद्रयान और गगनयान मिशनों तक की यात्रा को हमारे गौरवशाली सफर का प्रतीक बताया।

कार्यक्रम में इसरो की उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें वाटर रोकेट्री, सुरक्षित सूर्य अवलोकन, स्पेस क्विज, सौरमंडल मॉडल और बच्चों के लिए स्पेस थीम्ड आर्ट एवं क्राफ्ट गतिविधियाँ शामिल थीं। टेलीस्कोप से खगोलीय अवलोकन का जीवंत अनुभव भी कराया गया। इसरो में सेवाएँ दे चुके राजस्थान के वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को अंतरिक्ष विज्ञान की गहराई से जानकारी दी।

इस अवसर पर पर्यटन आयुक्त रुक्मणी रियाड़ ने छात्र-छात्राओं और विज्ञानप्रेमियों का उत्साहवर्धन किया। वहीं स्पेस इंडिया के संस्थापक एवं सीएमडी डॉ. सचिन भाभा ने बताया कि इस आयोजन में पहली बार जंतर मंतर के प्राचीन यंत्रों से लाइव खगोलीय अध्ययन किया गया, जो अपने आप में ऐतिहासिक है।

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(Udaipur Kiran) / अखिल

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