काठमांडू, 23 मई . सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम को-ऑपरेटिव धोखाधड़ी मामले में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व उप-प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री रवि लामिछाने को हिरासत में लेने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है. अब इस मुकदमे पर जिला कोर्ट से अंतिम फैसला आने तक उन्हें जेल में ही रहना होगा.
न्यायमूर्ति नहकुल सुवेदी और न्यायमूर्ति बालकृष्ण ढकाल की संयुक्त पीठ ने लामिछाने की पत्नी निकिता पौडेल की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें हिरासत से रिहा करने की मांग की गई थी.
इस फैसले के साथ लामिछाने तब तक हिरासत में रहेंगे जब तक रूपंदेही जिला न्यायालय धोखाधड़ी मामले पर अंतिम फैसला नहीं दे देता. जिला न्यायालय द्वारा सभी आरोपों से बरी किए जाने पर ही उन्हें रिहा किया जाएगा.
लामिछाने को मूल रूप से उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद हिरासत में लिया गया था, जिसने जिला न्यायालय के पहले के फैसले को पलट दिया था, जिसमें उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.
उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए लामिछाने ने सुप्रीम कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी है. उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए एक अलग याचिका भी प्रस्तुत की थी.
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/ पंकज दास
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