धमतरी, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) . नयनाभिराम झांकी बनी आकर्षण का केन्द्र, आदर्श दुर्गोत्सव समिति 150 साल से कर रही दुर्गा विराजित
नवरात्रि पर्व पर इस बार धमतरीवासियों को घर बैठे रतनपुर की महामाया देवी के दर्शन का सौभाग्य मिल रहा है. आदर्श दुर्गोत्सव समिति शारदा चौक टिकरापारा द्वारा सजी झांकी में रतनपुर के प्रसिद्ध महामाया मंदिर की हूबहू प्रतिकृति तैयार की गई है. यह नयनाभिराम झांकी भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. सुबह से शाम तक यहा दर्शनार्थियों की भीड़ लग रही है.
समितियों द्वारा भव्य पंडाल में माता विराजित कर नयनाभिराम झांकियां भी सजाई गई है. कुछ इसी तरह की झांकी आदर्श दुर्गोत्सव समिति शारदा चौक टिकरापारा द्वारा बनाई गई है. समिति के देवेन्द्र नेताम, रुद्रेश, राजेश सोनकर, राहूल, प्रिंस ने बताया कि पूर्वजो द्वारा मां दुर्गा प्रतिमा विराजित करने की शुरुआत की गई थी. उक्त परंपरा को आज भी पीढ़ी आगे बढ़ा
रहे है. इस भी नवरात्र में विशेष झांकी सजाई गई है. करीब 150 साल से यह क्रम चल रहा है. यह तीसरी पीढ़ी है. इस साल रतनपुर के महामाया देवी मंदिर की हु बु हु झांकी सजाई गई है. जो कि भक्तों में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. रतनपुर के महामाया देवी के दर्शन झांकी के माध्यम से धमतरी में होने से भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है. यही वजह है कि नयनाभिराम झांकी को देखने रोजाना भीड़ जुटने लगी है. जहां भक्त अपने अपने अंदाज में माता के प्रति आस्था प्रकट कर रहे है. समिति के मनीष चुगवानी, हरीश नाग, दिनेश रावटे ने बताया कि रतनपुर के महामाया देवी मंदिर की झांकी की जमकर सराहना हो रही है. पंडाल के अंदर नक्काशी में महाकाली, भद्राकाली, सूर्यदेव, भगवान विष्णु, हनुमान, भैरव भगवान की आकृति बनाई गई है. महामाया मंदिर मुख्य रुप से देवी दुर्गा और महालक्ष्मी को समर्पित है. जो कि भारत के 52 शक्ति पीठो में से एक है. मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्राचीन प्रतिमाओं की उकेरी कलाकृति की शोभा देखते ही बन रही है. गर्भगृह के सामने दो सिंह स्थापित किए गए है. जहां से ही भक्तों को प्रवेश मिलता है. पंडाल में प्रवेश करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम रतनपुर आ गए है.
-Chhattisgarh के मुख्य देवियों का झांकी के माध्यम से दर्शन कराना है उद्देश्य
समिति के राजेश सोनकर, रुद्रेश कुमार, देवेन्द्र नेताम ने बताया कि समिति का उद्देश्य भक्तों को Chhattisgarh के मुख्य देवियों का झांकी के माध्यम से दर्शन कराना है. इसके तहत सालो से अलग अलग देवियों की झांकी बनाई जाती है. 2023 में गंगरेल स्थित वनदेवी मां अंगारमोती की झांकी बनाई गई थी. इसके पूर्व राजिम क्षेत्र की जतमई माता की झांकी सजी थी. पश्चात शहर की आराध्य देवी मां विंध्यवासिनी की झांकी बनाई गई थी. झलमला के गंगा मैय्या के बाद 2024 में दंतेवाड़ा की दंतेश्वरी माई मंदिर की झांकी बनाई गई थी. समिति में 100 से अधिक सदस्य है. इसमें 10 साल के बच्चे से लेकर 80 साल तक के बुजुर्ग शामिल है. कई लोग दूर दराज में स्थित माता के दर्शन करने जा नहीं पाते. इन्हें समिति द्वारा झांकी के माध्यम से दर्शन कराया जा रहा है.
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
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