कोलकाता, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) ।
खड़गपुर रेलवे स्टेशन के पास पांच नंबर वार्ड देवांगपुर की रहने वाली रेजोवाना खातून इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि युवती के कारण कई बार मोहल्ले में तोड़फोड़ और विवाद की घटनाएं हुईं। दुकानों के शीशे, घरों की खिड़कियां, यहां तक कि बाइक तक को उसने नुकसान पहुंचाया है।
आरोप है कि पिता मो. रियोवान दाफिज लगातार लोगों को मुआवजा देते-देते कर्ज में डूब गए और आखिरकार घर पर ताला लगाकर फरार हो गए। पड़ोसी बताते हैं कि रियोवान का बेटा मो. रेजाउल भी बहन के डर से घर छोड़कर पलायन कर गया।
रेजोवाना को पहले खड़गपुर चांदमारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहां भी उसने डॉक्टरों और नर्सों से मारपीट की और वहां से भाग निकली। फिलहाल उसे श्रीरामपुर वॉल्स अस्पताल में भर्ती किया गया है। हालांकि अस्पताल में भर्ती होने से पहले उसके परिवार के बारे में किसी को पता नहीं था। इसलिए वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब (हैम) रेडियो से मदद मांगी गई। तब जाकर उसकी सभी करतूतों के बारे में पता चला है। हैम रेडियो के वेस्ट बंगाल सचिव अंबरिश नाग विश्वास ने सोमवार को (Udaipur Kiran) को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वाल्स अस्पताल के असिस्टेंट सुपर बसुदेव जोरदार ने वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब से परिवार का पता लगाने का अनुरोध किया। क्लब की टीम जब पिता को चंद्रकोणा रोड स्टेशन पर खोज पाई, तब बेटी की तस्वीर देखकर वे फूट-फूटकर रो पड़े। भावुक होकर उन्होंने कहा—
“वह मेरी इकलौती बेटी है, लेकिन उसके कारण मेरा सब कुछ खत्म हो गया। अब मैं किसी तरह की क्षतिपूर्ति नहीं दे सकता। अगर मजबूर किया गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।”
स्थानीय पांच नंबर वार्ड के काउंसिलर मो. फिदा हुसैन ने घटना पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि युवती का सही ढंग से इलाज होना बेहद जरूरी है। उन्होंने विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपचार की व्यवस्था कराने की अपील की।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रेजोवाना के इलाज में कोई कमी नहीं की जाएगी और पूरा प्रयास होगा कि वह जल्द स्वस्थ हो सके।
डॉक्टरों ने बताया कि उसे एक रेयर मानसिक बीमारी है। वह रह-रह कर हिंसक हो जाती है और सामने जो भी आए उस पर हमला कर देती है, चाहे वह इंसान हो, जानवर हो या कोई समान हो। इसलिए वह लोगों की खिड़कियां तोड़ देती है, गाड़ी तोड़ने लगती है, पत्थर बाजी करती है और जो भी सामने आए उस पर हमला कर देती है। इसके लिए लंबे इलाज की जरूरत है और अस्पताल की ओर से यह व्यवस्था की जाएगी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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