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तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश न देना गलत, बीएसए का आदेश रद्द

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प्रयागराज, 08 सितंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बिजनौर के तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश अस्वीकार करने के आदेश 30 अगस्त 25 को स्थापित विधि सिद्धांत के विपरीत होने के कारण रद्द कर दिया है। कोर्ट ने बीएसए को तय कानूनी उपबंधों के तहत मातृत्व अवकाश देने पर चार हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

बीएसए ने यह कहते हुए अवकाश अर्जी निरस्त कर दी कि याची के दो जीवित बच्चे मौजूद हैं। इसलिए तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने श्रीमती अंशुल दत्त की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

याचिका पर याची का कहना था कि वह प्राइमरी स्कूल मेमन सादात, ब्लाक कीरतपुर, बिजनौर में सहायक अध्यापिका है। उसकी नियुक्ति 28 जून 16 को की गई थी। 2 जुलाई 16 को उसने ज्वाइन किया। उस समय एक बच्ची प्रज्ञा विद्यार्थी थी। अध्यापिका बनने के बाद एक बच्चे के गर्भ में आने पर मातृत्व अवकाश दिया गया। तीसरा बच्चा गर्भ में आने पर याची ने मातृत्व अवकाश की छुट्टी की अर्जी दी और 15 सितम्बर 25 से 13 मार्च 26 तक अवकाश मांगा।

याची अधिवक्ता का तर्क था कि उच्चतम न्यायालय ने उमादेवी केस व हाईकोर्ट ने श्रीमती नीलम शुक्ला केस में विधि सिद्धांत प्रतिपादित किया है। जिसके तहत याची मातृत्व अवकाश पाने की हकदार हैं। तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश से इंकार नहीं किया जा सकता। जिस पर कोर्ट ने भी बीएसए को स्थापित विधि सिद्धांत के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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