एक्ट्रेस से पॉलिटिशियन बनीं स्मृति ईरानी इन दिनों टीवी की दुनिया में अपनी आइकॉनिक सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के दूसरे सीजन को लेकर सुर्खियों में छाई हुई हैं। टीवी इंडस्ट्री से राजनीति की दुनिया में कूदने वाली और फिर राजनीति से लौटकर टीवी पर वापसी करने वाली स्मृति ने सोहा अली खान के पॉडकास्ट शो ‘ऑल अबाउट हर’ में अपनी करियर की पूरी कहानी खुलकर बयां की।
राजनीति में कदम रखा तो मिला ये झटकाशो के दौरान जब बात राजनीतिक करियर पर आई, तो स्मृति ईरानी ने बिल्कुल फ्रैंक होकर कहा कि राजनीति में आने से उन्हें काफी नुकसान हुआ है। उनका मानना है कि एक्ट्रेस होने की वजह से लोग शुरू में उन्हें सीरियसली नहीं लेते थे। सबको लगता था कि एक्टर्स राजनीति को सिर्फ करियर के आखिर में एक छुट्टी की तरह चुनते हैं, न कि जमीन से जुड़कर लंबे समय तक लड़ने के लिए। स्मृति ने बताया कि 2003 में जब उन्होंने बीजेपी की यूथ विंग से शुरुआत की, तो उन्हें ग्रासरूट लेवल पर काम करना पड़ा। वहां उन्होंने कई बीजेपी प्रेसिडेंट्स के साथ मिलकर मेहनत की, लेकिन उनकी फेमस फेस ने उल्टा नुकसान पहुंचाया।
स्मृति ने आगे खुलासा किया कि 2004 में उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा था, जब वह सिर्फ 27 साल की थीं। उस वक्त न तो उनके पास कोई खास पढ़ाई थी और न ही राजनीति की कोई अकादमिक बैकग्राउंड। फिर भी, उन्होंने महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। आज उनके बैचमेट महाराष्ट्र के सीएम हैं और एक सहकर्मी धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा मंत्री, लेकिन स्मृति को हमेशा प्रूव करना पड़ा कि वह सिर्फ पॉपुलैरिटी के लिए नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म कमिटमेंट के लिए राजनीति में हैं।
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